Sunday 29 March 2015

सोमवार व्रत कथा (Somvar Vrat Katha)

Somvar Vrat Katha
हिन्दू धर्म के अनुसार सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। जो व्यक्ति सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करते हैं उन्हें मनोवांछित फल अवश्य मिलता है।
व्रत कथा: किसी नगर में एक साहूकार रहता था। उसके घर में धन की कोई कमी नहीं थी लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी जिस वजह से वह बेहद दुखी था। पुत्र प्राप्ति के लिए वह प्रत्येक सोमवार व्रत रखता था और पूरी श्रद्धा के साथ शिवालय में जाकर भगवान शिव और पार्वती जी की पूजा करता था। उसकी भक्ति देखकर मां पार्वती प्रसन्न हो गई और भगवान शिव से उस साहूकार की मनोकामना पूर्ण करने का निवेदन किया। पार्वती जी की इच्छा सुनकर भगवान शिव ने कहा कि "हे पार्वती। इस संसार में हर प्राणी को उसके कर्मों के अनुसार फल मिलता है और जिसके भाग्य में जो हो उसे भोगना ही पड़ता है।" लेकिन पार्वती जी ने साहूकार की भक्ति का मान रखने के लिए उसकी मनोकामना पूर्ण करने की इच्छा जताई। माता पार्वती के आग्रह पर शिवजी ने साहूकार को पुत्र-प्राप्ति का वरदान तो दिया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उसके बालक की आयु केवल बारह वर्ष होगी। 
माता पार्वती और भगवान शिव की इस बातचीत को साहूकार सुन रहा था। उसे ना तो इस बात की खुशी थी और ना ही गम। वह पहले की भांति शिवजी की पूजा करता रहा। कुछ समय उपरांत साहूकार के घर एक पुत्र का जन्म हुआ। जब वह बालक ग्यारह वर्ष का हुआ तो उसे पढ़ने के लिए काशी भेज दिया गया। 
साहूकार ने पुत्र के मामा को बुलाकर उसे बहुत सारा धन दिया और कहा कि तुम इस बालक को काशी विद्या प्राप्ति के लिए ले जाओ और मार्ग में यज्ञ कराओ। जहां भी यज्ञ कराओ वहीं पर ब्राह्मणों को भोजन कराते और दक्षिणा देते हुए जाना। 
दोनों मामा-भांजे इसी तरह यज्ञ कराते और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देते काशी की ओर चल पड़े। राते में एक नगर पड़ा जहां नगर के राजा की कन्या का विवाह था। लेकिन जिस राजकुमार से उसका विवाह होने वाला था वह एक आंख से काना था। राजकुमार के पिता ने अपने पुत्र के काना होने की बात को छुपाने के लिए एक चाल सोची। साहूकार के पुत्र को देखकर उसके मन में एक विचार आया। उसने सोचा क्यों न इस लड़के को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करा दूं। विवाह के बाद इसको धन देकर विदा कर दूंगा और राजकुमारी को अपने नगर ले जाऊंगा। 
लड़के को दूल्हे का वस्त्र पहनाकर राजकुमारी से विवाह कर दिया गया। लेकिन साहूकार का पुत्र एक ईमानदार शख्स था। उसे यह बात न्यायसंगत नहीं लगी। उसने अवसर पाकर राजकुमारी की चुन्नी के पल्ले पर लिखा कि "तुम्हारा विवाह मेरे साथ हुआ है लेकिन जिस राजकुमार के संग तुम्हें भेजा जाएगा वह एक आंख से काना है। मैं तो काशी पढ़ने जा रहा हूं।"
जब राजकुमारी ने चुन्नी पर लिखी बातें पढ़ी तो उसने अपने माता-पिता को यह बात बताई। राजा ने अपनी पुत्री को विदा नहीं किया जिससे बारात वापस चली गई। दूसरी ओर साहूकार का लड़का और उसका मामा काशी पहुंचे और वहां जाकर उन्होंने यज्ञ किया। जिस दिन लड़के की आयु 12 साल की हुई उसी दिन यज्ञ रखा गया। लड़के ने अपने मामा से कहा कि मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है। मामा ने कहा कि तुम अन्दर जाकर सो जाओ। 
शिवजी के वरदानुसार कुछ ही क्षणों में उस बालक के प्राण निकल गए। मृत भांजे को देख उसके मामा ने विलाप शुरू किया। संयोगवश उसी समय शिवजी और माता पार्वती उधर से जा रहे थे। पार्वती ने भगवान से कहा- प्राणनाथ, मुझे इसके रोने के स्वर सहन नहीं हो रहा। आप इस व्यक्ति के कष्ट को अवश्य दूर करें| जब शिवजी मृत बालक के समीप गए तो वह बोले कि यह उसी साहूकार का पुत्र है, जिसे मैंने 12 वर्ष की आयु का वरदान दिया। अब इसकी आयु पूरी हो चुकी है। लेकिन मातृ भाव से विभोर माता पार्वती ने कहा कि हे महादेव आप इस बालक को और आयु देने की कृपा करें अन्यथा इसके वियोग में इसके माता-पिता भी तड़प-तड़प कर मर जाएंगे। माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया| शिवजी की कृपा से वह लड़का जीवित हो गया। शिक्षा समाप्त करके लड़का मामा के साथ अपने नगर की ओर चल दिए। दोनों चलते हुए उसी नगर में पहुंचे, जहां उसका विवाह हुआ था। उस नगर में भी उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया। उस लड़के के ससुर ने उसे पहचान लिया और महल में ले जाकर उसकी आवभगत की और अपनी पुत्री को विदा किया। 
इधर भूखे-प्यासे रहकर साहूकार और उसकी पत्नी बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थे। उन्होंने प्रण कर रखा था कि यदि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो वह भी प्राण त्याग देंगे परंतु अपने बेटे के जीवित होने का समाचार पाकर वह बेहद प्रसन्न हुए। उसी रात भगवान शिव ने व्यापारी के स्वप्न में आकर कहा- हे श्रेष्ठी, मैंने तेरे सोमवार के व्रत करने और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लम्बी आयु प्रदान की है। 
जो कोई सोमवार व्रत करता है या कथा सुनता और पढ़ता है उसके सभी दुख दूर होते हैं और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

सोमवार व्रत विधि (Somvar Vrat Vidhi)
Somvar Vrat Vidhi
सोमवार के व्रत में शिव-गौरी पूजन किया जाता है। अग्नि पुराण के अनुसार चित्रा नक्षत्रयुक्त सोमवार से लगातार सात वार व्रत करके मनुष्य सभी प्रकार के सुखों को प्राप्त कर लेता है। शिव पूजन के बाद कथा सुननी चाहिए। यह व्रत साधारणतया दिन के तीसरे पहर तक होता है। सोमवार व्रत में केवल एक समय ही भोजन करना चाहिए।










Saturday 28 March 2015

रामनवमी पूजा विधिRam Navami Puja Vidhi

Ram Navami Puja Vidhi
हिन्दू मान्यतानुसार भगवान श्रीराम को विष्णु जी का अवतार माना जाता है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मध्याह्न के समय मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी का जन्म हुआ था। 
रामनवमी 2015 (Ram Navami 2015): इस वर्ष रामनवमी 28 मार्च को है और इस दिन पूजा का शुभ समय दोपहर 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 1 बजकर 39 मिनट तक का है।
श्री राम नवमी पूजा विधि (Shri Ram Navami Puja Vidhi): नारद पुराण के अनुसार इस दिन भक्तों को उपवास करना चाहिए। श्री राम जी की पूजा-अर्चना करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और गौ, भूमि, वस्त्र आदि का दान देना चाहिए। इसके बाद भगवान श्रीराम की पूजा संपन्न करनी चाहिए। 

Saturday 21 March 2015

       नवदुर्गा (Navdurga)



दुर्गा की पूजा के लिए नवरात्रों को बहुत शुभ माना जाता है। नवरात्र के नौ दिन देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।

प्रथम नवदुर्गा: माता शैलपुत्री (Mata Shailputri)

Mata Shailputri
माँ दुर्गा का प्रथम रूप (1st Form of Navdurga): नवरात्रों की शुरुआत माँ दुर्गा के प्रथम रूप "माँ शैलपुत्री" की उपासना के साथ होतीहै। शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मी माँ दुर्गा के इस रूप का नाम शैलपुत्री है।

मां शैलपुत्री का स्वरूप: पार्वती और हेमवती इन्हीं के नाम हैं। माँ का वाहन वृषभ है और इनके दाएँ हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल का फूल है।

माँ शैलपुत्री का मंत्र (Mata Shailputri Mantra): माँ शैलपुत्री की पूजा इस मंत्र के उच्चारण से की जानी चाहिए-
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

वर्ष 2015 में पूजा का दिन (1st Day of Navratri): चैत्र नवरात्र 2015 में 21 मार्च 2015 को माता शैलपुत्री की पूजा की जाएगी।

पूजा में उपयोगी वस्तु: मां भगवती की विशेष कृपा प्राप्ति हेतु षोडशोपचार पूजन के बाद नियमानुसार प्रतिपदा तिथि को नैवेद्य के रूप में गाय का घृत मां को अर्पित करना चाहिए और फिर वह घृत ब्राह्मण को दे देना चाहिए।

पूजा फल: मान्यता है कि माता शैलपुत्री की भक्तिपूर्वक पूजा करने से मनुष्य कभी रोगी नहीं होता।

द्वितीय नवदुर्गा: माता ब्रह्मचारिणी (Mata Brahmacharini)

Mata Brahmacharini

माँ दुर्गा का दूसरा रूप (2nd Form of Navdurga): कठोर तप और ध्यान की देवी "ब्रह्मचारिणी" माँ दुर्गा का दूसरा रूप हैं। इनकी उपासना नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है।

देवी ब्रह्मचारिणी: ‘ब्रहाचारिणी’ माँ पार्वती के जीवन काल का वो समय था जब वे भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या कर रही थी। तपस्या के प्रथम चरण में उन्होंने केवल फलों का सेवन किया फिर बेल पत्र और अंत में निराहार रहकर कई वर्षो तक तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया। इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएँ हाथ में कमण्डल है।

माँ ब्रह्मचारिणी का मंत्र (Mata Brahmacharini Mantra): माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना के लिए यह मंत्र है-

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥


नवरात्र 2015 (2nd Day of Navratri): ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा नवरात्र के दूसरे दिन यानि 22 मार्च को की जाएगी।

पूजा में उपयोगी वस्तु: भगवती को नवरात्र के दूसरे दिन चीनी का भोग लगाना चाहिए और ब्राह्मण को दान में भी चीनी ही देनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मनुष्य दीर्घायु होता है। इनकी उपासना करने से मनुष्य में तप, त्याग, सदाचार आदि की वृद्धि होती है।


तृतीय नवदुर्गा: माता चंद्रघंटा (Mata Chandraghanta)


माँ दुर्गा का तीसरा रूप (3rd form of Navdurga): माँ दुर्गा के तीसरे रूप "माँ चंद्रघंटा" की उपासना नवरात्र के तीसरे दिन की जाती है। अपने मस्तक पर घंटे के आकार के अर्धचन्द्र को धारण करने के कारण माँ "चंद्रघंटा" नाम से पुकारी जाती हैं। अपने वाहन सिंह पर सवार माँ का यह स्वरुप युद्ध व दुष्टों का नाश करने के लिए तत्पर रहता है। माँ के दस हाथों में अलग- अलग तरह के अस्त्र- शस्त्र सुशोभित हैं।

माँ चंद्रघंटा का मंत्र (Mata Chandraghanta Mantra): स्वर्ण के समान उज्जवल वर्ण वाली माँ चंद्रघंटा की पूजा का यह मंत्र है-
पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यां चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

नवरात्र 2015 (3rd Day of Navratri): चैत्र नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के चन्द्रघंटा रूप की पूजा 22 मार्च 2015 को की जाएगी।

पूजा में उपयोगी खाद्य साम्रगी: तृतीया के दिन भगवती की पूजा में दूध की प्रधानता होनी चाहिए और पूजन के उपरांत वह दूध ब्राह्मण को दे देना उचित है।

विशेष: इनकी उपासना से मनुष्य समस्त सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाता है|

चतुर्थी नवदुर्गा: माता कूष्मांडा (Mata Kushmanda)

Mata Kushmanda



माँ दुर्गा का चौथा रूप (4th Form of Navdurga) : अपनी मंद हंसी से ब्रह्माण्ड का निर्माण करने वाली "माँ कूष्मांडा" देवी दुर्गा का चौथा स्वरुप हैं । माँ कुष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। मान्यतानुसार सिंह पर सवार माँ कूष्मांडा सूर्यलोक में वास करती हैं, जो क्षमता किसी अन्य देवी देवता में नहीं है। माँ कूष्मांडा अष्टभुजा धारी हैं और अस्त्र- शस्त्र के साथ माँ के एक हाथ में अमृत कलश भी है।

माँ कूष्मांडा का मंत्र (Mata Kushmanda Mantra): देवी कूष्मांडा की उपासना इस मंत्र के उच्चारण से की जाती है-
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

नवरात्र 2015 (4th Day of Navratri): चैत्र नवरात्र के दौरान मां भगवती के कूष्मांडा स्वरूप की उपासना 23 मार्च 2015 को की जाएगी।

पूजा में उपयोगी खाद्य साम्रगी: चतुर्थी के दिन मालपुए का नैवेद्य अर्पित किया जाए और फिर उसे योग्य ब्राह्मण को दे दिया जाए। इस अपूर्व दान से हर प्रकार का विघ्न दूर हो जाता है।

विशेष: मान्यता है कि माता की उपासना से मनुष्य को व्याधियों से मुक्ति मिलती है। मनुष्य अपने जीवन के परेशानियों से दूर होकर सुख और समृद्धि की तरफ बढ़ता है। -


पंचम नवदुर्गा: माता स्कंदमाता (Mata Skandmata)



माँ दुर्गा का पांचवा रूप (5th form of Navdurga) : नवरात्र के पांचवे दिन माँ दुर्गा के पांचवे स्वरुप भगवान स्कन्द की माता अर्थात "माँ स्कंदमाता" की उपासना की जाती है। कुमार कार्तिकेय को ही "भगवान स्कन्द" के नाम से जाना जाता है। माँ की चार भुजाएं हैं जिनमें से एक हाथ से माँ ने कुमार कार्तिकेय के बालरूप को अपनी गोद में पकड़ा हुआ है और एक हाथ से भक्तों को वरदान देती मुद्रा में हैं, अपने अन्य दो हाथों में मां कमल का फूल लिये हुए हैं।

माँ स्कंदमाता का मंत्र (Mata Skandmata Mantra): माँ स्कंदमाता का वाहन सिंह है। इस मंत्र के उच्चारण सहित माँ की आराधना की जाती है-
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

नवरात्र 2015 (5th Day of Navratri):चैत्र नवरात्र के दौरान देवी स्कंदमाता की आराधना नवरात्र के पांचवे दिन यानि 24 मार्च 2015 को की जाएगी।

पूजा में उपयोगी खाद्य साम्रगी: पंचमी तिथि के दिन पूजा करके भगवती को केले का भोग लगाएं और वह प्रसाद ब्राह्मण को दे दें। ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है। - 

षष्ठी देवी: देवी कात्यायनी (Devi Katyayani)




Devi Katyayani



माँ दुर्गा का छठा रूप (6th form of Navdurga): शक्ति का छठा स्वरुप है- माँ कात्यायनी। नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी का है। प्रसिद्ध महर्षि कात्यान ने कठोर तप कर माँ से उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेने का वरदान माँगा, ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर माँ पराम्बा ने उनकी इस इच्छा को पूरा किया और ऋषि कात्यान की पुत्री "देवी कात्यायनी" कहलाई। चार भुजा धारी माँ कात्यायनी सिंह पर सवार हैं। अपने एक हाथ में तलवार और दूसरे में अपना प्रिय पुष्प कमल लिये हुए हैं। अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं।

देवी कात्यायनी का मंत्र (Devi Katyayani Mantra): सरलता से अपने भक्तों की इच्छा पूरी करने वाली माँ कात्यायनी का उपासना मंत्र है-
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना|
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि||

नवरात्र 2015 (6th Day of Navratri): नवरात्र के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए। इस साल चैत्र नवरात्र के दौरान यह पूजा 25 मार्च को की जाएगी।

पूजा में उपयोगी खाद्य साम्रगी: षष्ठी तिथि के दिन देवी के पूजन में मधु का महत्व बताया गया है। इस दिन प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए। इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है। 

विशेष: मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी मानी गई हैं। शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयासरत भक्तों को माता की अवश्य उपासना करनी चाहिए। - 

सप्तम नवदुर्गा: माता कालरात्रि (Mata Kaalratri)

Mata Kaalratri









माँ दुर्गा का सातवां रूप (7th Form of Navdurga) : माँ दुर्गा के सातवें रूप को "माँ कालरात्रि" के नाम से पूजा जाता है। माँ कालरात्रि का वर्ण रात्रि के समान काला है परन्तु वे अंधकार का नाश करने वाली हैं। दुष्टों व राक्षसों का अंत करने वाला माँ दुर्गा का यह रूप देखने में अत्यंत भयंकर लेकिन शुभ फल देता है इसलिए माँ "शुभंकरी" भी कहलाई जाती हैं। माँ कालरात्रि के ब्रह्माण्ड के समान गोल नेत्र हैं। अपनी हर श्वास के साथ माँ की नासिका से अग्नि की ज्वालाएं निकलती रहती हैं। अपने चार हाथों में खड्ग, लोहे का अस्त्र, अभयमुद्रा और वरमुद्रा किये हुए माँ अपने वाहन गर्दभ पर सवार हैं।

माँ कालरात्रि का मंत्र (Mata Kaalratri Mantra): नवरात्र के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना इस मंत्र से की जा सकती है-
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

नवरात्र 2015 (7th Day of Navratri): नवरात्र के सातवें दिन कालरात्रि की पूजा का विधान है। इस साल चैत्र नवरात्र के दौरान यह पूजा 26 मार्च 2015 को की जाएगी। 

पूजा में उपयोगी खाद्य साम्रगी: सप्तमी तिथि के दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से पुरुष शोकमुक्त हो सकता है।

विशेष: मान्यता है कि माता कालरात्रि की पूजा करने से मनुष्य समस्त सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है। माता कालरात्रि पराशक्तियों की साधना करने वाले जातकों के बीच बेहद प्रसिद्ध हैं। मां की भक्ति से दुष्टों का नाश होता है और ग्रह बाधाएं दूर हो जाती हैं। 



अष्टम नवदुर्गा: माता महागौरी (Maa Mahagauri)



Maa Mahagauri
माँ दुर्गा का आठवां रूप (8th Form of Navdurga): शंख और चन्द्र के समान अत्यंत श्वेत वर्ण धारी "माँ महागौरी" माँ दुर्गा का आठवां स्वरुप हैं। 

मां का स्वरूप: मान्यतानुसार भगवान शिव को पाने के लिए किये गए अपने कठोर तप के कारण माँ पार्वती का रंग काला और शरीर क्षीण हो गया था, तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान शिव ने माँ पार्वती का शरीर गंगाजल से धोया तो वह विद्युत प्रभा के समान गौर हो गया। इसी कारण माँ को "महागौरी" के नाम से पूजते हैं। महागौरी की चार भुजाएं हैं जिनमें से दो अभयमुद्रा और वरमुद्रा में हैं तथा दो में त्रिशूल और डमरू धारण किया हुआ है। अपने सभी रूपों में से महागौरी, माँ दुर्गा का सबसे शांत रूप है। अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विधान है।

माँ महागौरी का मंत्र (Maa Mahagauri Mantra): महागौरी की उपासना का मंत्र है- 
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा॥

नवरात्र 2015 (8th Day of Navratri): नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं। इस साल चैत्र नवरात्र के दौरान यह पूजा 27 मार्च 2015 को की जाएगी। 

पूजा में उपयोगी खाद्य साम्रगी: अष्टमी तिथि के दिन भगवती को नारियल का भोग लगाना चाहिए। फिर नैवेद्य रूप वह नारियल ब्राह्मण को दे देना चाहिए। इसके फलस्वरूप उस पुरुष के पास किसी प्रकार का संताप नहीं आ सकता। श्री दुर्गा जी के आठवें स्वरूप महागौरी मां का प्रसिद्ध पीठ हरिद्वार के समीप कनखल नामक स्थान पर है।


नवम नवदुर्गा: माता सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri)


Mata Siddhidatri







माँ दुर्गा का नौवां रूप (9th Form of Navdurga): सर्व सिद्धियों की दाता "माँ सिद्धिदात्री" देवी दुर्गा का नौवां व अंतिम स्वरुप हैं। नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा और कन्या पूजन के साथ ही नवरात्रों का समापन होता है। 

मां का स्वरूप: माँ सिद्धिदात्री भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। मान्यता अनुसार भगवान शिव ने इन्हीं की उपासना कर सिद्धियों को प्राप्त किया था। माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं, जिनमें गदा, कमल पुष्प, शंख और चक्र लिये माँ कमल के फूल पर आसीन हैं। माँ सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है।

माँ सिद्धिदात्री का मंत्र (Mata Siddhidatri Mantra): इनका उपासना मंत्र है- 
सिद्धगन्धर्वयक्षाघैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

नवरात्र 2015 (9th Day of Navratri): नौवें दिन भगवती के सिद्धिदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है। सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है। इस साल चैत्र नवरात्र के दौरान यह पूजा 28 मार्च 2015 को की जाएगी। 

पूजा में उपयोगी खाद्य साम्रगी: नवमी तिथि को भगवती को धान का लावा अर्पित करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए। इस दिन देवी को अवश्य भोग लगाना चाहिए। 

विशेष: समस्त सिद्धियों की प्राति के लिए मां सिद्धिदात्री की पूजा विशेष मानी जाती है। 

Friday 20 March 2015

मां दुर्गा के मंत्र (Goddess Durga Mantra)

Goddess Durga Mantra
हिंदू मान्यतानुसार देवी दुर्गा को शक्ति का अवतार माना जाता है। माता दुर्गा जी के पूजा में मंत्रों का विशेष महत्व होता है। मां दुर्गा के कुछ मंत्र निम्न हैं,

मां दुर्गा जी के मंत्र (Mantra of Durga Ji)

विविध उपद्रवों से बचने के लिए मां दुर्गा की आराधना इस मंत्र का जाप करते हुए करना चाहिए-

रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्च नागा यत्रारयो दस्युबलानि यत्र |दावानलो यत्र तथाब्धिमध्ये तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम् ||Vividh upadravo se bachne ke liye Maa Durga ki aradhna is mantra ka jaap karte huye karna chahiye-
Rakshaansi Yatrogravishaashcha Naaga Yatraarayo Dasyubalaani Yatra |Davaanalo Yatra Tathabdhimadhye Tatra Sthita Tvam Paripaasi Vishvam ||

विश्वव्यापी विपत्तियों के नाश के लिए मां दुर्गा की वंदना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य |प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य ||Vishwavyapi vipattiyo ken ash ke liye Maa Durga ki vandna is mantra ke dwara karna chaiye-
Devi Prapannaartihare Praseed Praseed Maatarjgatokhilasya |Praseed Vishveshvari Paahi Vishvam Tvameeshwaree Devi Characharasya ||

महामारी नाश के लिए मां दुर्गा की आराधना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी |
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते ||Mahamari nash ke liye Maa Durga ki aradhna is mantra ke dwara karna chahiye-
Jayanti Mangla Kaali Bhadrakaali Kapalinee |Durga Kshama Shiva Dhatri Swaha Svadha Namostu Te ||

स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की स्तुति इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी |त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः ||Swarg aur moksh ki prapti ke liye Maa Durga ki stuti is mantra ke dwara karna chahiye-
Sarvbhoota Yada Devi Swargmuktipradaayinee |Tvam Stutaa Stutaye Ka Va Bhavntu Parmoktayah ||

पापनाश और भक्ति प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की वंदना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे |रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||Paapnash aur bhakti prapti ke liye Maa Durga ki vandana is mantra ke dwara karna chaiye-
Natebhyah Sarvada Bhaktya Chandike Duritaapahe |Roopam Dehi Jayam Dehi Yasho Dehi Dvisho Jahi ||

प्रसन्नता प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की आराधना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि |त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव ||Prasannata prapti ke liye Maa Durga ki aradhna is mantra ke dwara karna chahiye-
Prantaanaam Praseed Tvam Devi Vishvaartihaarini |Trailokyavaasinaameedye Lokaanaam Varda Bhav ||

जीवन में आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की आराधना इस मंत्र से करना चाहिए-
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् |रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||Jivan me arogya aur saubhagya ki prapti ke liye Maa Durga ki aradhna is mantra se karna chahiye-
Dehi Saubhagyamaarogyam Dehi Me Paramam Sukham |Roopam Dehi Jayam Dehi Yasho Dehi Dvisho Jahi ||

अपने पापों को मिटाने के लिये इस मन्त्र के द्वारा मां दुर्गा की अराधना करना चाहिए-
हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत् |सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योनः सुतानिव ||Apne paapo ko mitane ke liye is mantra ke dwara Maa Durga ki araadhna karna chahiye-
Hinasti Daityatejaansi Svanenaapurya Yaa Jagat |Saa Ghanta Paatu No Devi Paapebhyonah Sutaaniv ||

इस मंत्र के द्वारा विश्व के अशुभ तथा भय का विनाश करने के लिए मां दुर्गा की स्तुति करना चाहिए-
यस्याः प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तमलं बलं च |सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु ||Is mantra ke dwara vishwa ke ashubh tatha bhay ka vinash karne ke liye Maa Durga ki stuti karna chahiye-
Yasyah Prabhavmatulam Bhagavaanananto Brahma Harashch Na Hi Vaqtumalam Balam Ch |Saa Chandikaakhiljagatparipaalanaay Naashaay Chashubhabhayasya Matim Karotu ||

सामूहिक कल्याण के लिए मां दुर्गा की वंदना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या |तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ||Saamuhik kalyan ke liye Maa Durga ki vandana is mantra ke dwara karna chahiye-
devya yayaa tatamidam jagdaatmashaktyaa nishsheshadevganshaktisamoohmoortyaa |Taamambikaamakhildev maharshipoojyaam bhaktyaa nataah sma vidadhaatu shubhani saa nah ||


Tuesday 17 March 2015

मां लक्ष्मी के मंत्र (Goddess Lakshmi Mantra)

Goddess Lakshmi Mantra

माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। आज के युग में बिना धन-वैभव मनुष्य का जीवन अधूरा होता है। माता लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के कुछ आसान मंत्र निम्न हैं:

मां लक्ष्मी के मंत्र (Laxmi Mata Mantra in Hindi)

मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा उन्हें रक्तचन्दन समर्पण करना चाहिए-

रक्तचन्दनसम्मिश्रं पारिजातसमुद्भवम् |मया दत्तं महालक्ष्मि चन्दनं प्रतिगृह्यताम् ||ॐ महालक्ष्म्यै नमः रक्तचन्दनं समर्पयामि |Maa Lakshmi ki pooja ke dauran is mantra ke dwara unhe raktchandan samarpan karna chahiye-
Raktchandanasammishram Paarijaatasamudbhavam |Mayaa Dattam Mahalakshmi Chandanam Pratigrihyataam ||Om Mahalakshmyai Namah Raktchandanam Samarpayaami |मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा उन्हें दुर्वा समर्पण करना चाहिए-

क्षीरसागरसम्भते दूर्वां स्वीकुरू सर्वदा ||ॐ महालक्ष्म्यै नमः दूर्वां समर्पयामि |

Maa Lakshmi ki pooja ke dauran is mantra ke dwara unhe durva samarpan karna chahiye-
Vishnvaadisarvadevaanaam Priyaam Sarvsushobhanaam |Ksheersaagarasambhate Doorvaam Sveekuroo Sarvadaa ||Om Mahalakshmyai Namah Doorvaam Samarpayaami |

इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को अक्षत समर्पण करना चाहिए-

अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकुमाक्ताः सुशोभिताः |
मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरि ||
ॐ महलक्ष्म्यै नमः | अक्षतान समर्पयामि ||
Is mantra ke dwara Maa Lakshmi ko akshat samarpan karna chahiye-
Akshataashch Surshreshth Kunkumaaktaah Sushobhitaah |
Mayaa Niveditaa Bhaktyaa Grihaan Parmeshvari ||
Om Mahalakshmyai Namah | Akshtaan Samarpayaami ||

इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को पुष्प माला समर्पण करना चाहिए-

माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो |
ॐ मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि |
ॐ महालक्ष्म्यै नमः | पुष्पमालां समर्पयामि ||
Is mantra ke dwara Maa Lakshmi ko pushp mala samarpan karna chahiye-
Maalyaadeeni Sugandheeni Maalatyaadeeni Vai Prabho |
Om Manasah Kaamamaakootim Vaachah Satyamasheemahi |
Pashoonaam Roopmannasya Mayi Shrih Shrayataam Yashah ||
Om Mahalakshmyai Namah | Pushpmalaam Samarpayaami |

इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को आभूषण समर्पण करना चाहिए-

रत्नकंकणवैदूर्यमुक्ताहाअरादिकानि च |
सुप्रसन्नेन मनसा दत्तानि स्वीकुरूष्व भोः || ॐ
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् |
अभूतिमसमृद्धि च सर्वां न
Is mantra ke dwara Maa Lakshmi ko aabhushan samarpan karna chahiye-
Ratnkankanavaidooryamuktaahaaaraadikani Ch |
Suprasannen Manasaa Dattani Sveekurooshva Bhoh ||
Om Kshutpipaasaamalaam Jyeshthaamalakshmeem Naashayaamyaham |
Abhootimasamriddhi Ch Sarvaam Nirgud Me Grihaat ||
Om Mahalakshmyai Namah | Aabhushan Samarpayaami |

इस मंत्र के द्वारा माता लक्ष्मी को वस्त्र समर्पण करना चाहिए-

दिव्याम्बरं नूतनं हि क्षौमं त्वतिमनोहरम् | दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके ||
ॐ उपैतु मां देवसुखः कीर्तिश्च मणिना सह | प्रादुर्भूतोस्मि राष्ट्रेस्मिन कीर्तिमृद्धि ददातु मे ||<
Is mantra ke dwara Mata Lakshmi ko vastra samarpan karna chahiye-
Divyaambaram Nootanam Hi Kshaumam Tvatimanoharam |
Deeyamaanam Mayaa Devi Grihaan Jagadambike ||
Om Upaitu Maa Devsukhah Keertishcha Maninaa Sah |
Praadurbhootosmi Raashtresmin Keertimriddhi Dadaatu Me ||
Om Mahalakshmyai Namah Vastram Samarpayaami |
इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को स्नान हेतु घी अर्पित करना चाहिए-
ॐ घृतं घृतपावानः पिबत वसां वसापावानः पिबतान्तरिक्षस्य हविरसि स्वाहा |
दिशः प्रदिश आदिशो विदिश उद्धिशो दिग्भ्यः स्वाहा || ॐ महालक्ष्म्यै नमः घृतस्नानं समर्पयामि |

Is mantra ke dwara Maa Lakshmi ko snaan hetu ghee arpit karna chahiye-

Om Ghritam Ghritapaavaanah Pibat Vasaam Vasaapaavaanah Pibataantarikshasya Havirasi Svaahaa |
Dishah Pradish Aadisho Vidish Uddhisho Digbhyah Svaahaa ||
Om Mahalakshmyai Namah Ghritsnaanam Samarpayaami |

मां लक्ष्मी की पूजा में इस मंत्र के द्वारा उन्हें जल समर्पण करना चाहिए-

मन्दाकिन्याः समानीतैर्हेमाम्भोरूहवासितैः | स्नानं कुरूष्व देवेशि सलिलैश्च सुगन्धिभिः ||
ॐ महालक्ष्म्यै नमः स्नानं समर्पयामि |
Maa Lakshmi ki pooja me is mantra ke dwara unhen jal samarpan karna chahiye-
Mandaakinyaah Samaaneetairhemaambhoruhavaasitaih |
Snaanam Kurushva Deveshi Salilaishcha Sugandhibhih ||
Om Mahalakshmyai Namah Snaanam Samarpayaami |

इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी को आसन समर्पण करना चाहिए-

तप्तकाश्चनवर्णाभं मुक्तामणिविराजितम् | अमलं कमलं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम् ||
ॐ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम् | श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ||

Is mantra ke dwara Maa Lakshmi ko aasan samarpan karna chahiye-
Taptkaashchanavanaarbham Muktaamaniviraajitam |
Amalam Kamalam Divyamaasanam Pratigrihyataam ||
Om Ashvapurvaam Rathmadhyaam Hastinaadapramodineem |
Shriyam Deveemupahvaye Shrirmaa Devee Jushataam ||
Om Mahalakshmyai Namah | Aasanam Samarpayaami |

इस मंत्र के द्वारा मां लक्ष्मी का आवाहन करना चाहिए-

सर्वलोकस्य जननीं सर्वसौख्यप्रदायिनीम |
सर्वदेवमयीमीशां देवीमावाहयाम्यहम् ||
ॐ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् | यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ||
Is mantra ke dwara Maa Lakshmi ka aavahan karna chahiye-
Sarvlokasya Jananeem Sarvsaukhyapradaayineem |
Sarvdevmayeemeeshaam Deveemaavaahayaamyaham ||
Om Taam Ma Aavah Jaatavedo Lakshmeemanapagaamineem |
Yasyaam Hiranyam Vindeyam Gaamashvam Purushaanaham ||
Om Mahalakshmyai Namah | Mahalaksheemaavaahayaami, Aavahanaarthe Pushpaani Samarpayaami |

Monday 16 March 2015

भगवान गणेश (Bhagvan Ganesha)

Bhagvan Ganesha

प्रथमपूजनीय गणपति गजानन गणेश हिन्दू धर्म के लोकप्रिय देव हैं। इनका वर्णन समस्त पुराणों में सुखदाता, मंगलकारी और मनोवांछित फल देने वाले देव के रूप में किया गया है।
श्री गणेश जी का जन्म (Birth of Lord Ganesha)गणेश जी का वर्णन पुराणों में माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ के दूसरे पुत्र के रूप में है। शिवपुराण के अनुसार गणेश जी शिवा यानि पार्वती जी के देह की मैल से उत्पन्न हुए हैं।
गणेश यानि गणों में सर्वश्रेष्ठ (Lord Ganesha Detail in Hindi)शिवपुराण के अनुसार ही गणेश जी को त्रिलोकी ने प्रथम पूजनीय होने का वरदान दिया है। शिवपुराण के अनुसार किसी भी देव की पूजा से पहले गणेश जी की पूजा करना अनिवार्य है। गणेश जी को विघ्नहर्ता भी माना गया है।
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi)गणेश जी का जन्म भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ है। इस दिन को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन मनुष्यों को व्रत करना चाहिए।
श्री गणेश जी से जुड़ी वस्तुएं (Facts of Lord Ganesha in Hindi)चूहा: गणपति का वाहन मूषक यानि चूहा है।
लड्डू: गणेश जी को लड्डू बहुत प्रिय हैं। पुराणों में कई जगह गजानन के मोदक प्रेम के विषय में लिखा गया है।
बुद्धि और विवेक के देव: गणपति को बुद्धि और विवेक का देवता माना जाता है।
तुलसी: गणेश जी की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
गणेश जी का मंत्र (Ganesh Mantra in Hindi)गणेश जी का मूल मंत्र "ऊँ गं गणपतये नम:" है।
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Saturday 14 March 2015


                     

                         धन वर्षा - सुख कर्ता - सर्वरोग हर्ता     

  जीवन मे सुख का आधार सिद्ध श्री लक्ष्मी नारायण कवच, समस्या अनेक समाधान 

                      एक सिद्ध श्री लक्ष्मी नारायण कवच !


समस्त विध्याओ का प्रदाता सिद्ध श्री लक्ष्मी नारायण कवच ! 
सिद्ध श्री लक्ष्मी नारायण कवच घर मे मंगवाये ! 
व्यापार धन वृधि का आधार सिद्ध श्री लक्ष्मी नारायण कवच !
 नौकरी रोजगार मे उन्नति प्राप्ति का आधार सिद्ध श्री लक्ष्मी नारायण कवच !
घर मे सुख शान्ती धन बरकत का आधार सिद्ध श्री लक्ष्मी नारायण कवच ! 
भूत प्रेत दुर करने का आधार सिद्ध श्री लक्ष्मी नारायण कवच !
कालसर्प मांगलिक दोष दुर करने का वाला सिद्ध श्री लक्ष्मी नारायण कवच ! 
नवग्रह शनि दोष दुर करने वाला सिद्ध श्री लक्ष्मी नारायण कवच !
घर के समस्त वास्तु दोष दुर करने वाला सिद्ध श्री लक्ष्मी नारायण कवच ! 
समस्त वाहन दुर्घटना से बचाने वाला सिद्ध श्री लक्ष्मी नारायण कवच !
 जल मे थल मे रक्षा करने वाला सिद्ध श्री लक्ष्मी नारायण कवच ! 

जीवन मे सब सुखो को देने वाला सिद्ध श्री लक्ष्मी नारायण कवच !

मित्रो आपके जीवन की सभी समस्याओ का समाधान हमारे पास है !
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Friday 13 March 2015




रत्न क्या है What is Gemstone

Astrology, Horoscope, Rashiphal, Prediction | राशिफल | Rashifal  in Hindi
भारतीय ज्योतिष शास्त्रानुसार रत्न किसी ना किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं। रत्नों का संसार बेहद बड़ा है। लेकिन विशेष रूप से केवल नौ रत्न ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं। रत्नों का धारण करने से मनुष्य को कई लाभ होते हैं। रत्नों का लाभ और अन्य बातें रत्न से संबंधित ग्रह पर निर्भर करती हैं


पन्ना रत्न       Emerald Facts and Benefits in Hindi


Gemstones

Emerald in English
पन्ना रत्न गहरे हरे रंग का होता है। बुध ग्रह की पीड़ा शांत करने के लिए पन्ना धारण करने की सलाह दी जाती है। इसे मरकत मणि, हरितमणि, एमराल्ड, पांचू आदि नामों से जाना जाता है। हीरा और नीलम के बाद इसे तीसरा सबसे खूबसूरत रत्न कहा जाता है। पन्ना बेहद महंगा कीमती है।

पन्ना के तथ्य (Facts of Emerald in Hindi):
* पन्ना की असल पहचान करने के लिए लकड़ी पर रत्न को रगड़ने से इसकी चमक ओर अधिक खिलती है।
* यह मुलायम हरी घास की भांति होता है जिसके ऊपर पानी की बूंद रखने से बूंद उसी समान रहती है।

पन्ना के लिए राशि (Emerald for Rashi)
मिथुन तथा कन्या राशि के जातकों के लिए पन्ना रत्न अत्याधिक लाभकारी माना जाता है।

पन्ना के फायदे (Benefits of Emerald)
* गुस्से पर काबू करने और मन में एकाग्रता बढ़ाने के लिए पन्ना का प्रयोग करना चाहिए।
* जो जातक व्यापार तथा अंकशास्त्र संबंधित कार्य कर रहें हों उनके लिए पन्ना लाभकारी साबित होता है।
* बुध ग्रह को स्मरण शक्ति और विद्या आदि का कारक माना जाता है। पन्ना धारण करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। छात्रों के लिए यह विशेष रत्न साबित होता है।
स्वास्थ्य में पन्ना का लाभ (Health Benefits of Emerald)
* माना जाता है कि पन्ना पौरुष शक्ति को बढ़ाता है।
* यह रत्न दमा के मरीजों तथा गर्भवती महिलाओं के लिए अत्याधिक लाभकारी माना गया है।
* मिर्गी के दौरे से पीड़ित रोगियों के लिए भी पन्ना लाभकारी माना जाता है।

कैसे करें पन्ना धारण (How to Wear Emerald)
ज्योतिषी मानते हैं कि पन्ना बुधवार के दिन धारण करना चाहिए। पन्ना धारण करते समय मनुष्य को अपनी कुंडली में बुध की स्थिति पर भी ध्यान देना चाहिए। रत्न का वजन बेहद अहम होता है। कितने रत्ती का रत्न धारण करें, यह कुंडली का विश्लेषण कर सुनिश्चित करना चाहिए। गरुड पुराण में इसको परखने की विधि बताई गई है।

माणिक्य रत्नRuby Facts and Benefits in Hindi

Gemstones
माणिक्य (रूबी) को बेहद मूल्यवान रत्न माना जाता है। इसे चुन्नी और लाल भी कहा जाता है। माणिक्य का रंग लाल होता है। इसे धारण करने से सूर्य की पीड़ा शांत होती है। माणिक्य को अंग्रेज़ी में 'रूबी' कहते हैं। 
माणिक्य के तथ्य (Facts of Ruby)
* माणिक्य रत्न के बारे में कहा जाता है कि जब किसी व्यक्ति के साथ कुछ अनहोनी घटित होने वाली हो तो यह रत्न स्वयं अपना रंग परिवर्तित कर लेता है। 
* कई लोग मानते हैं कि माणिक्य विष के प्रभाव को भी कम कर देता है। 
माणिक्य के लिए राशि (Ruby for Rashi)
सिंह राशि के जातकों के लिए माणिक्य रत्न धारण करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। 
माणिक्य के फायदे (Benefits of Ruby in Hindi)
* जो जातक, सूर्य की पीड़ा से ग्रस्त हो उन्हें माणिक्य धारण करने की सलाह दी जाती है। 
* इसे धारण करने से मनुष्य बदनामी से बचा जा सकता है।
* इसे धारण करने से विवाहित जीवन में मजबूती आती है। 
स्वास्थ्य में माणिक्य का लाभ (Health Benefits of Ruby )
माणिक्य नेत्र रोग तथा हृदय संबंधित रोगों में विशेष लाभकारी माना जाता है। साथ ही सरदर्द आदि समस्याओं में भी इसका प्रयोग लाभकारी होता है। 
कैसे करें माणिक्य धारण (How to Wear Ruby)
ज्योतिषानुसार माणिक्य (रूबी) रविवार के दिन सूर्य मंत्रों का जाप करते हुए धारण करना चाहिए। माणिक्य धारण करते समय कुंडली में सूर्य की स्थिति के बारें में भी विचार कर लेना चाहिए।

मोती रत्नPearl Facts and Benefits in HindiGemstonesPear सादगी, पवित्रता और कोमलता की निशानी माने जाने वाला मोती एक चमत्कारी ज्योतिउषिय रत्न माना जाता है। इसे मुक्ता, शीशा रत्न और पर्ल के नाम से भी जाना जाता है। मोती सिर्फ एक रंग का ही नहीं होता बल्कि यह कई अन्य रंगों जैसे गुलाबी, लाल, हल्के पीले रंग का भी पाया जाता है। मोती, समुद्र के भीतर स्थित घोंघे नामक कीट में पाए जाते हैं। 

मोती के तथ्य (Facts of Pearl)
* मोती के बारे में बताया जाता है कि यह रत्न, बाकी रत्नों से कम समय तक ही चलता है क्योंकि यह रत्न रूखेपन, नमी तथा एसिड से अधिक प्रभावित हो जाता है।
* प्राचीनकाल में मोती को सुंदरता निखारने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता था तथा इसे शुद्धता का प्रतीक माना जाता था। 
मोती के लिए राशि (Pearl for Cancer Rashi)
कर्क राशि के जातकों के लिए मोती धारण करना अत्याधिक लाभकारी माना जाता है । चन्द्रमा से जनित बीमारियों और पीड़ा की शांति के लिए मोती धारण करना लाभदायक माना जाता है। 
मोती के फायदे (Benefits of Pearl in Hindi)
* मोती धारण करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। जो जातक मानसिक तनाव से जूझ रहें हों उन्हें मोती को धारण कर लेना चाहिए।
* जिन लोगों को अपनी राशि ना पता हो या कुंडली ना हो, वह भी मोती धारण कर सकते हैं। 
स्वास्थ्य में मोती का लाभ (Benefits of Pearl in Health)
* मानसिक शांति, अनिद्रा आदि की पीड़ा में मोती बेहद लाभदायक माना जाता है। 
* नेत्र रोग तथा गर्भाशय जैसे समस्या से बचने के लिए मोती धारण किया जाता है।
* मोती, हृदय संबंधित रोगों के लिए भी अच्छा माना जाता है। 
कैसे धारण करें मोती (How to Wear Pearl)
ज्योतिषानुसार मोती सोमवार के दिन धारण करना शुभ होता है। मोती धारण करते समय चन्द्रमा का ध्यान और उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। चांदी की अंगूठी में मोती धारण करना अत्यधिक श्रेष्ठ माना जाता है। 
नोट: किसी भी रत्न को धारण करने से पहले रत्न ज्योतिषी की सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए।

रत्न लहसुनियाCats eye Gemstone Facts and Benefits in Hindi

Gemstones
लहसुनिया को केतु ग्रह का रत्न माना जाता है। इसे वैदूर्य मणि, सूत्र मणि, केतु रत्न, कैट्स आई, विडालाक्ष के नाम से भी जाना जाता है। इस रत्न का रंग हल्का पीला होता है। यह रत्न दिखने में थोड़ा-सा बिल्ली की आंख जैसा भी प्रतीत होता है।
लहसुनिया के तथ्य (Facts of Cats eye in Hindi)
* मान्यता है कि लहसुनिया धारण करने से केतु ग्रह के बुरे प्रभाव खत्म हो जाते हैं। ज्योतिषी इस रत्न को बेहद अहम मानते हैं। 
* माना जाता है कि गुणयुक्त लहसुनिया अपने स्वामी को परम सौभाग्य से संपन्न बनाती है और दोषयुक्त मणि अपने स्वामी को दोषों से संयुक्त कर देती है। इसलिए इसे पहनने से पूर्व इसकी परीक्षा अवश्य करनी चाहिए। 
लहसुनिया के ज्योतिषिय फायदे (Astrological Benefits of Cats eye)
* माना जाता है कि लहसुनिया धारण करने से दुख:-दरिद्रता समाप्त हो जाता है। यह रत्न भूत बाधा तथा काले जादू से दूर रखने में साहयक माना जाता है| 
* ज्योतिषी मानते हैं कि लहसुनिया के धारण करने से रात में बुरे सपने परेशान नहीं करते हैं। 
स्वास्थ्य में लहसुनिया का लाभ (Health Benefits of Cats eye )
* ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लहसुनिया को धारण करने से शारीरिक दुर्बलता खत्म होती है और आंखों की रोशनी बढ़ती है। 
* माना जाता है कि यह रत्न दमे के रोगियों के लिए अत्याधिक लाभकारी होता है। 
* कई रत्न ज्योतिषी श्वास नली में सूजन की परेशानी होने पर लहसुनिया धारण करने की सलाह देते हैं। 
कैसे करें लहसुनिया धारण (How to wear Cats Eye)
सोने या चांदी की अंगूठी में लहसुनिया जड़ाकर सोमवार के दिन धारण करना चाहिए। चूंकि यह एक बेहद प्रभावशाली रत्न होता है इसलिए इसे धारण करने से पहले ज्योतिषी से सलाह परामर्श कर लेना चाहिए।



मूँगा रत्नRed Coral Facts and Benefits in Hindi

Gemstones
लाल रंग के मूंगा रत्न (Red Coral Stone) को मंगल ग्रह का रत्न माना जाता है। ज्योतिषी मानते हैं कि इसे धारण करने से मंगल ग्रह की पीड़ा शांत होती है। इस रत्न को भौम रत्न, पोला, मिरजान, लता मणि, कोरल, प्रवाल के नाम से भी जाना जाता है। मूंगा रत्न ज्यादातर लाल रंग का होता है परंतु यह गहरे लाल, सिंदूरी लाल, नारंगी आदि रंग के भी पाए जाते हैं। 
मूंगा के तथ्य (Facts of Red Coral)
* मूंगा के बारे में यह माना जाता है कि मूंगा एक वनस्पति है जिसका एक पेड़ है लेकिन यह रत्न समुद्र में पाया जाता है। 
* मूंगा जितना समुद्र की गहराई में होता है इसका रंग उतना ही हल्का भी होता है।
मूंगा के लिए राशि (Red Coral for Rashi)
मेष तथा वृश्चिक राशि के जातकों के लिए मूंगा रत्न, सबसे बेहतरीन माना जाता है। 
मूंगा के फायदे (Benefits of Red Coral)
* मूंगा धारण करने से नज़र नहीं लगती है और भूत-प्रेत का डर नहीं रहता है।
* आत्मविश्वास तथा सकारात्मक सोच में वृद्धि होती है।
* आकर्षण शक्ति बढ़ती है तथा लोगों का देखने का नजरिया बदलता है।
* मूंगा को पहनने से क्रूर तथा जलन का नाश हो जाता है। 
स्वास्थ्य में मूंगा का लाभ (Benefits of Red Coral in Health)
* मूंगा रत्न को धारण करने से रक्त संबंधित सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
* जो जातक हृदय रोगों से ग्रस्त हैं उन्हें मूंगा धारण करना चाहिए। 
* मिर्गी तथा पीलिया रोगियों के लिए यह रत्न उत्तम साबित माना गया है।   
कैसे पहने मूंगा (How To Wear Red Coral) 
मूंगा या किसी भी अन्य रत्न को धारण करने से पहले अच्छे ज्योतिषी से अवश्य सलाह ले लेनी चाहिए। मूंगा मंगलवार के दिन अनामिका में धारण करना चाहिए। पुरुषों को दाएं हाथ में और स्त्रियों को बाएं हाथ की अनामिका उंगली में मूंगा धारण करने का विधान है।

हीरा रत्नDiamond Facts and Benefits in Hindi

Gemstones
बेदाग स्वच्छ हीरा शुक्र की पीड़ा शांत करता है। मान्यता है कि जो हीरा सभी गुणों से संपन्न हो और जल में डालने पर तैरता है वह सभी रत्नों में सर्वश्रेष्ठ होता है। 

हीरे के बारें में रोचक तथ्य (Facts of Diamond)
* हीरे के बारे में कहा जाता है कि हीरा जितना अधिक भारी होगा उतना ही वो लाभकारी भी होगा। 
* हीरा बेहद मूल्यवान होता है लेकिन एक छोटे से दोष के कारण भी हीरे की कीमत में जमीन-आसमान का अंतर आ सकता है। 

राशि रत्न (Diamond for Rashi)
वृषभ तथा तुला राशि के जातकों के लिए हीरा धारण करना अच्छा माना जाता है। 

हीरे के फायदे (Benefits of Diamond)
* जो जातक व्यापार, फिल्म उद्योग तथा कला क्षेत्र में सफलता हासिल करना चाहते हैं तो वे हीरा धारण कर सकते हैं।
* संबंधों में मधुरता के लिए विशेषकर प्रेम संबंधों को हीरा बढ़ाता है। 
* शिक्षा संबंधित परेशानी या विवाह में आती रुकावट हो तो हीरा का धारण करना लाभकारी साबित हो सकता है।

स्वास्थ्य संबंधी लाभ (Health Benefits of Diamond )
* हीरा धारण करने से आयु में वृद्धि होती है।
* मधुमेह तथा नेत्र रोगों से निजात दिलाता है।
* विशेष: कई ज्योतिषी मानते हैं कि संतान विशेषकर पुत्र चाहने वाले स्त्रियों को हीरा नहीं पहनना चाहिए। यह पुत्र संतान-प्राप्ति में बाधक हो सकता है। 

कैसे करें हीरा धारण (How to Wear Diamond)
अंगूठी या हार के रूप में हीरा पहना जाता है। ज्योतिषिय प्रभाव के लिए हीरा अंगूठी में जड़वाकर शुक्रवार के दिन पहनना चाहिए।

नीला पुखराज रत्नBlue Sapphire Facts and Benefits in Hindi

Gemstones
शनि ग्रह के बुरे प्रभाव और पीड़ा शांत करने के लिए नीलम या नीला पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है। नीलम को हीरे के बाद दूसरा सबसे सुंदर रत्न माना जाता है। इसे नीलमणि, सेफायर, इंद्र नीलमणि, याकूत, नीलम, कबूद भी कहा जाता है। कहा जाता है कि यह रत्न रंक को राजा और राजा को रंक बना सकता है। 

नीला पुखराज के तथ्य (Facts of Blue Sapphire in Hindi)
* नीला पुखराज के बारे में मान्यता है कि जब इस रत्न को दूध में डाला जाए तो दूध भी नीला रंग धारण कर लेता है। 
* कहा जाता है कि नीलम शुभ साबित हो तो मनुष्य के जीवन में खुशियों की बहार ला देता है। लेकिन अशुभ स्थिति में यह मनुष्य के लिए बहुत अहितकारी साबित होता है।

नीला पुखराज के लिए राशि (Blue Sapphire for Rashi)मकर तथा कुंभ राशि के जातकों के लिए नीलम या नीला पुखराज धारण लाभकारी साबित होता है। साथ ही जिन लोगों को शनि साड़ेसाती के प्रभावों से परेशानी हो रही हो उन्हें भी नीलम धारण करने की सलाह दी जाती है। 

नीला पुखराज के फायदे (Benefits of Blue Sapphire)
* नीला पुखराज धारण करने से मन अशांत नहीं होता है। 
* माना जाता है कि नीलम धारण करने से ज्ञान तथा धैर्य की वृद्धि होती है।
* नीलम वाणी में मिठास, अनुशासन तथा विनम्रता पैदा करता है।
* राजनेताओं और राजनीति से जुड़े लोगों के लिए नीलम लाभकारी माना जाता है। कहा जाता है कि इसे धारण करने से नेतृत्व क्षमता बढ़ती है।
* माना जाता है कि जो जातक तनाव तथा चिंताओं से घिरे हों उन्हें नीला पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए। 

स्वास्थ्य में नीला पुखराज का लाभ (Health Benefits of Blue Sapphire)
* ज्योतिषी मानते हैं कि लकवा, हड्डियों, दांतों और दमा की परेशानी से ग्रस्त रोगियों के लिए नीला पुखराज फायदेमंद हो सकता है। 
* कहा जाता है कि नीला पुखराज पहनने से चर्म रोग तथा प्लेग जैसे बिमारियों से निजात मिलती है। ज्योतिषी शनि से प्रभावित रोगों और परेशानियों में भी नीलम या नीला पुखराज धारण करने की सलाह देते हैं। 
कैसे करें नीलम धारण (How to Wear Blue Sapphire)
नीलम शनिवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है। विधिवत रूप से पूजा पाठ करने के बाद ही नीलम धारण करना चाहिए। अगर पहले कुछ दिनों में इसका विपरीत प्रभाव लगे तो रत्न को उतार देना चाहिए। नीलम के साथ कोई अन्य रत्न विशेषकर माणिक्य, मोती आदि नहीं पहनना चाहिए।

पुखराज रत्नYellow Sapphire Gemstone

Gemstones
Yellow Topaz is a very beautiful gemstone. It is the gem of the planet Jupiter. Its efficiency depends on its shape, color, purity and etc. They are generally available in every color. But people must wear them according to their Zodiac sign.
Facts of Yellow Sapphire
It is said that those people must wear Yellow Sapphire whose Jupiter planet is weak.
Yellow Sapphire for Rashi
It is considered beneficial for Sagittarius and Pisces zodiac sign.
Benefits of Yellow Sapphire
It helps in achieving wealth and fame. It is lucky for those also who are in education field. This gemstone helps a person to concentrate on religious and social affairs. It is also advisable to those people who are facing interruptions in their marriage and loss in business.
Health Benefits of Yellow Sapphire
Astrologers believe that those people who are suffering from chest pain, breathing and threat discomfort should wear this gemstone. To get rid of diseases like ulcer, arthritis, diarrhea, impotency, tuberculosis, heart disease, knee and joint pain, we should wear Yellow Sapphire.
How to Wear Yellow Sapphire
Wear Yellow Sapphire on Thursday with chanting the Mantras for best possible results. Before holding this sapphire, donate the yellow objects related to Jupiter like banana, turmeric, yellow dress, etc. Minimum weight of Yellow Sapphire should not be less than 3.25 carats. It should be worn in Quarter past five carats, Quarter past nine carats and Quarter past twelve carats. Consult your astrologer and horoscope before wearing any gemstone.