Wednesday 15 April 2015

अक्षय तृतीया 2015 (Akshaya Tritiya 2015 )


भविष्य पुराण के अनुसार वैशाख पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। अक्षय का शाब्दिक अर्थ कभी भी नष्ट न होने वाला है। वैसे तो साल की सभी तृतीया तिथि शुभ होती हैं, लेकिन वैशाख महीने की तृतीया सभी कार्यों के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। अक्षय तृतीया के दिन किसी नए कार्य की शुरुआत करना अच्छा माना जाता है। 

भविष्यपुराण के अनुसार अक्षय तृतीया (Akshay Tritiya According to Bhavishya Puran)
भविष्यपुराण के अनुसार वैशाख पक्ष की तृतीया के दिन ही सतयुग तथा त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। भगवान विष्णु ने अक्षय तृतीया तिथि को हयग्रीव तथा परशुराम के रूप में अवतार लिया था। इसी तिथि से हिन्दू तीर्थ स्थल बद्रीनाथ के दरवाजे खोले जाते हैं। वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में चरण दर्शन, अक्षय तृतीया के दिन ही किए जाते हैं। ब्रह्मा पुत्र अक्षय कुमार का जन्म भी इसी दिन हुआ था। 

पद्म पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया (Akshay Tritiya According to Padma Puran)
पद्म पुराण के अनुसार, अक्षय तृतीया के दोपहर का समय सबसे शुभ माना जाता है। इसी दिन महाभारत युद्ध की समाप्ति तथा द्वापर युग प्रारम्भ हुआ था।

अक्षय तृतीया 2015 (Akshay Tritiya 2015): अक्षय तृतीया व्रत, साल 2015 में 21 अप्रैल को रखा जाएगा। 

अक्षय तृतीया कथा (Akshay Tritiya Story or Katha in Hindi)
भविष्य पुराण के अनुसार, शाकल नगर में धर्मदास नामक वैश्य रहता था। धर्मदास, स्वभाव से बहुत ही आध्यात्मिक था, जो देवताओं व ब्राह्मणों का पूजन किया करता था। एक दिन धर्मदास ने अक्षय तृतीया के बारे में सुना कि ‘वैशाख शुक्ल की तृतीया तिथि को देवताओं का पूजन व ब्राह्मणों को दिया हुआ दान अक्षय हो जाता है।’ 
यह सुनकर वैश्य ने अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान कर, अपने पितरों का तर्पण किया। स्नान के बाद घर जाकर देवी- देवताओं का विधि- विधान पूजन कर, ब्राह्मणों को अन्न, सत्तू, दही, चना, गेहूं, गुड़, ईख, खांड आदि का श्रद्धा- भाव से दान किया।
धर्मदास की पत्नी, उसे बार- बार मना करती लेकिन धर्मदास अक्षय तृतीया को दान जरूर करता था। कुछ समय बाद धर्मदास की मृत्यु हो गई। कुछ समय पश्चात उसका पुनर्जन्म द्वारका की कुशावती नगर के राजा के रूप में हुआ। कहा जाता है कि अपने पूर्व जन्म में किए गए दान के प्रभाव से ही धर्मदास को राजयोग मिला। अक्षय तृतीया से जुड़ी कई कथाएं लोगों के बीच प्रचलित हैं। 

होली 2015 (Holi 2015)



होली 2015 (Holi 2015 Muhurat)
साल 2015 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 05 मार्च को शाम 06 बजकर 19 मिनट से लेकर रात्रि 8 बजकर 48 मिनट तक का है तथा अगले दिन 6 मार्च 2015 को रंगवाली होली खेली जाएगी।
होली है खुशियों का त्यौहार (Information of Holi in Hindi)
बसंत ऋतू के आते ही राग, संगीत और रंग का त्यौहार होली, खुशियों और भाईचारे के सन्देश के साथ अपने रंग-बिरंगी आंचल में सबको ढ़क लेती है। हिन्दुओं का यह प्रमुख त्यौहार होली हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस पवित्र त्यौहार के सन्दर्भ में यूं तो कई कथाएं इतिहासों और पुराणों में वर्णित है, परन्तु हिन्दू धर्म ग्रन्थ विष्णु पुराण में वर्णित प्रहलाद और होलिका की कथा सबसे ज्यादा मान्य और प्रचलित है।

प्रहलाद और होलिका की कथा (Story of Holi in Hindi)

कथानुसार श्रीहरि विष्णु के परम भक्त प्रहलाद का पिता दैत्यराज हिरण्यकश्यप नास्तिक और निरंकुश था। उसने अपने पुत्र से विष्णु भक्ति छोड़ने के लिए कहा परन्तु अथक प्रयासो के बाद भी वह सफल नहीं हो सका। तदुपरांत हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे की भक्ति को देखते हुए उसे मरवा देने का निर्णय लिया। लेकिन अपने पुत्र को मारने की उसकी कई कोशिशें विफल रहीं इसके बाद उसने यह कार्य अपनी बहन होलिका को सौंपा। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह कभी जल नहीं सकती। 
होलिका अपने भाई के कहने पर प्रहलाद को लेकर जलती चिता पर बैठ गई। लेकिन इस आग में प्रहलाद तो जला नहीं पर होलिका जल गई। तभी से इस त्योहार के मनाने की प्रथा चल पड़ी है।

इसी घटना के स्मरण स्वरुप लोग होली की पिछली रात को होलिका जलाते हैं और अगले दिन रंग और गुलाल से एक दूसरे के साथ होली खेलते हैं।

होली - रंगो का त्यौहार (Holi Festival of Colors)
होली के अवसर पर सतरंगी रंगों के साथ सात सुरों का अनोखा संगम देखने को मिलता है। इस दिन रंगों से खेलते समय मन में ख़ुशी, प्यार और उमंग छा जाते हैं और अपने आप तन मन नृत्य करने को मचल जाता है। दुश्मनी को दोस्ती के रंग में रंगने वाला त्यौहार होली देश का एकमात्र ऐसा त्यौहार है, जिसे देश के सभी नागरिक उन्मुक्त भाव और सौहार्दपूर्ण तरीके से मानते हैं। इस त्यौहार में भाषा, जाति और धर्म का सभी दीवारें गिर जाती है, जिससे समाज को मानवता का अमूल्य सन्देश मिलता है।

चैत्र नवरात्र 2015 (Chaitra Navratri 2015 )



हिन्दू धर्म में माता दुर्गा को आदिशक्ति कहा जाता है। शक्तिदायिनी मां दुर्गा की आराधना के लिए साल के दो वर्ष बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यह दो समय होते हैं चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र। चैत्र नवरात्र चैत्र माह में मनाया जाता है। जबकि शारदीय नवरात्र आश्विन माह में मनाया जाता है।
चैत्र नवरात्र 2015 (Chaitra Navratri 2015)
इस साल चैत्र नवरात्र 21 मार्च से शुरू होंगे और 29 मार्च को खत्म होंगे। चैत्र नवरात्र की मुख्य तिथियां निम्न हैं: 
21 मार्च 2015 (1st Day of Chaitra Navratri): इस दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 28 मिनट से लेकर 07 बजकर 35 मिनट तक का है। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। 
22 मार्च 2015 (2nd Day of Chaitra Navratri): नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इसी दिन देवी चन्द्रघंटा की भी पूजा की जाएगी। 
23 मार्च 2015 (3rd Day of Chaitra Navratri): इस दिन देवी दुर्गा चौथे स्वरूप देवी कूष्मांडा जी की आराधना की जाएगी। 
24 मार्च 2015 (5th Day of Chaitra Navratri): नवरात्र के पांचवें दिन भगवान कार्तिकेय की माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है। 
25 मार्च 2015 (6th Day of Chaitra Navratri): इस साल पंचमी और छठवीं तिथि एक ही दिन 25 मार्च को पड़ेगी। नारदपुराण के अनुसार शुक्ल पक्ष यानि चैत्र नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए। 
26 मार्च 2015 (7th Day of Chaitra Navratri): नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। 
27 मार्च 2015 (8th Day of Chaitra Navratri): नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं। 
28 मार्च 2015 (9th Day of Chaitra Navratri): नौवें दिन भगवती के देवी सिद्धिदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है। सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है।


महाशिवरात्रि



शिवरात्रि आदिदेव भगवान शिव और मां शक्ति के मिलन का महापर्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जानेवाला यह महापर्व शिवरात्रि साधकों को इच्छित फल, धन, सौभाग्य, समृद्धि, संतान व आरोग्यता देनेवाला है। 

महाशिवरात्रि 2015 (Mahashiv Ratri 2015)
वर्ष 2015 में महाशिवरात्रि का व्रत 17 फरवरी, 2015 के दिन का रहेगा।

महाशिवरात्रि कथा (Mahashiv ratri Katha in Hindi)
वैसे तो इस महापर्व के बारे में कई पौराणिक कथाएं मान्य हैं, परन्तु हिन्दू धर्म ग्रन्थ शिव पुराण की विद्येश्वर संहिता के अनुसार इसी पावन तिथि की महानिशा में भगवान भोलेनाथ का निराकार स्वरूप प्रतीक लिंग का पूजन सर्वप्रथम ब्रह्मा और भगवान विष्णु के द्वारा हुआ, जिस कारण यह तिथि शिवरात्रि के नाम से विख्यात हुई। महा शिवरात्रि पर भगवान शंकर का रूप जहां प्रलयकाल में संहारक है वहीं उनके प्रिय भक्तगणों के लिए कल्याणकारी और मनोवांछित फल प्रदायक भी है।

महाशिवरात्रि व्रत विधि (Mahashiv Ratri Vrat Vidhi in Hindi)
महाशिवरात्रि व्रत में उपवास का बड़ा महत्व होता है। इस दिन शिव भक्त शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का विधि पूर्वक पूजन करते हैं और रात्रि जागरण करते हैं। भक्तगणों द्वारा लिंग पूजा में बेल-पत्र चढ़ाना, उपवास और रात्रि जागरण करना एक विशेष कर्म की ओर इशारा करता है। 
पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन भोलेनाथ की शादी मां शक्ति के संग हुई थी, जिस कारण भक्तों के द्वारा रात्रि के समय भगवान शिव की बारात निकाली जाती है। इस पावन दिवस पर शिवलिंग का विधि पूर्वक अभिषेक करने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। महा शिवरात्रि के अवसर पर रात्रि जागरण करनेवाले भक्तों को शिव नाम, पंचाक्षर मंत्र अथवा शिव स्त्रोत का आश्रय लेकर अपने जागरण को सफल करना चाहिए।

ललिता पंचमी (Lalita Panchami)


हिन्दू पंचांग के अनुसार शक्तिस्वरूपा देवी ललिता को समर्पित ललिता पूर्णिमा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में होनेवाले नवरात्री के पांचवे दिन मनाया जाता हैं. इस सुअवसर पर भक्तगण व्रत रखते हैं जो कि ललिता पंचमी व्रत के नाम से जाना जाता है. यह पर्व गुजरात और महाराष्ट्र के साथ साथ लगभग पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है. पौराणिक मान्यतानुसार इस दिन देवी ललिता भांडा नामक राक्षस को मारने के लिए प्रकट हुई थी, जो कि कामदेव के शरीर के राख से उत्पन्न हुआ था. इस दिन भक्तगण षोडषोपचार विधि से मां ललिता का पूजन करते है. इस दिन मां ललिता के साथ साथ स्कंदमाता और शिव शंकर की भी शास्त्रानुसार पूजा की जाती है. इस दिन का व्रत भक्तजनों के लिए बहुत ही फलदायक होता है.
आस्थावान भक्तों में मान्यता है कि यदि कोई इस दिन मां ललिता देवी की पूजा भक्ति-भाव सहित करता है तो उसे देवी मां की कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन में हमेशा सुख शांति एवं समृद्धि रहती है.


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