दशलक्षण पर्व (Dashlakshan Parv)
दशलक्षण पर्व, जैन धर्म का प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण पर्व है। 'पर्यूषण' पर्व के अंतिम दिन से आरम्भ
होने वाला दशलक्षण पर्व संयम और आत्मशुद्धि का संदेश देता हैं। दशलक्षण पर्व साल में तीन बार
मनाया जाता है लेकिन मुख्य रूप से यह पर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से लेकर चतुर्दशी तक मनाया
जाता है।
दशलक्षण पर्व 2015
साल 2015 में दशलक्षण पर्व की तिथियां निम्न हैं
24 जनवरी से 2 फरवरी
24 मार्च से 3 अप्रैल
18 सितंबर से 27 सितंबर
दशलक्षण पर्व मुख्य लक्षण
दशलक्षण पर्व में जैन धर्म के जातक अपने मुख्य दस लक्षणों को जागृत करने की कोशिश करते हैं।
दशलक्षण पर्व 2015
साल 2015 में दशलक्षण पर्व की तिथियां निम्न हैं
24 जनवरी से 2 फरवरी
24 मार्च से 3 अप्रैल
18 सितंबर से 27 सितंबर
दशलक्षण पर्व मुख्य लक्षण
दशलक्षण पर्व में जैन धर्म के जातक अपने मुख्य दस लक्षणों को जागृत करने की कोशिश करते हैं।
जैन धर्मानुसार दस लक्षणों का पालन करने से मनुष्य को इस संसार से मुक्ति मिल सकती है,
जो निम्न हैं:
1. क्षमा
2. विनम्रता
3. माया का विनाश
4. निर्मलता
5. सत्य
6. संयम
7. तप
8. त्याग
9. परिग्रह का निवारण
10. ब्रह्मचर्य
जैन धर्मानुसार लक्षणों का पालन करने के लिए, साल में तीन बार दसलक्षण पर्व श्रद्धा भाव से निम्न
1. क्षमा
2. विनम्रता
3. माया का विनाश
4. निर्मलता
5. सत्य
6. संयम
7. तप
8. त्याग
9. परिग्रह का निवारण
10. ब्रह्मचर्य
जैन धर्मानुसार लक्षणों का पालन करने के लिए, साल में तीन बार दसलक्षण पर्व श्रद्धा भाव से निम्न
तिथियों व माह में मनाया जाता है।
1. चैत्र शुक्ल 5 से 14 तक
2. भाद्रपद शुक्ल 5 से 14 तक और
3. माघ शुक्ल 5 से 14 तक।
भाद्र महीने में आने वाले दशलक्षण पर्व को लोगों द्वारा ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है। इन
1. चैत्र शुक्ल 5 से 14 तक
2. भाद्रपद शुक्ल 5 से 14 तक और
3. माघ शुक्ल 5 से 14 तक।
भाद्र महीने में आने वाले दशलक्षण पर्व को लोगों द्वारा ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है। इन
दिनों में श्रद्धालु अपनी क्षमता अनुसार व्रत-उपवास कर अत्याधिक समय भगवान की पूजा अर्चना में
व्यतीत किया जाता है।
दशलक्षण पर्व की शिक्षा
दशलक्षण पर्व ही महत्ता के कारण दशलक्षण पर्व को 'राजा' भी कहा जाता है, जो समाज को 'जिओ
दशलक्षण पर्व ही महत्ता के कारण दशलक्षण पर्व को 'राजा' भी कहा जाता है, जो समाज को 'जिओ
और जीने दो' का सन्देश देता है।
दशलक्षण पर्व व्रत
संयम और आत्मशुद्धि के इस पवित्र त्यौहार पर श्रद्धालु श्रद्धापूर्वक व्रत-उपवास रखते हैं। मंदिरों को
दशलक्षण पर्व व्रत
संयम और आत्मशुद्धि के इस पवित्र त्यौहार पर श्रद्धालु श्रद्धापूर्वक व्रत-उपवास रखते हैं। मंदिरों को
भव्यतापूर्वक सजाते हैं, तथा भगवान महावीर का अभिषेक कर विशाल शोभा यात्राएं निकाली जाती है।
No comments:
Post a Comment