Thursday 16 April 2015

धनतेरस (Dhanteras)


हिन्दू समाज मे धनतेरस सुख-समृद्धि, यश और वैभव का पर्व माना जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेर और आयूर्वेद के देव धन्वन्तरी की पूजा का बड़ा महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने वाले इस महापर्व के बारे में पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन देवताओं के वैद्य धनवंतरी अमृत कलश सहित सागर मंथन से प्रकट हुए थे, जिस कारण इस दिन धनतेरस के साथ-साथ धन्वन्तरी जयंती भी मनाई जाती है। साल 2015 में धनतेरस का त्यौहार 9 नवंबर को मनाया जाएगा। 
धनतेरस के दिन खरीददारी (Shoping on Dhanteras): नई चीजों के शुभ आगमन के इस पर्व में मुख्य रूप से नए बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है। आस्थावान भक्तों के अनुसार चूंकि जन्म के समय धन्वन्तरी जी के हाथों में अमृत का कलश था, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना अति शुभ होता है। विशेषकर पीतल के बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। 

धनतेरस कथा (Dhanteras Katha): कहा जाता है कि इसी दिन यमराज से राजा हिम के पुत्र की रक्षा उसकी पत्नी ने किया था, जिस कारण दीपावली से दो दिन पहले मनाए जाने वाले ऐश्वर्य का त्यौहार धनतेरस पर सांयकाल को यमदेव के निमित्त दीपदान किया जाता है। इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ रहता है। इस दिन घरों को साफ़-सफाई, लीप-पोत कर स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है और फिर शाम के समय रंगोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है।

हरतालिका तीज (Hartalika Teej)



हरतालिका तीज 2015 (Hartalika Teej 2015): इस वर्ष हरतालिका तीज 16 सितंबर को मनाई जाएगी। 

संकल्प शक्ति का प्रतीक और अखंड सौभाग्य की कामना का परम पावन व्रत हरतालिका तीज हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है। हरतालिका तीज को हरितालिका तीज भी कहा जाता है। 

हरतालिका तीज व्रत (Hartalika Teej Vrat)
नारी के सौभाग्य की रक्षा करनेवाले इस व्रत को सौभाग्यवती स्त्रियां अपने अक्षय सौभाग्य और सुख की लालसा हेतु श्रद्धा, लगन और विश्वास के साथ मानती हैं। कुवांरी लड़कियां भी अपने मन के अनुरूप पति प्राप्त करने के लिए इस पवित्र पावन व्रत को श्रद्धा और निष्ठा पूर्वक करती है। "हर" भगवान भोलेनाथ का ही एक नाम है और चूँकि शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए माँ पार्वती ने इस व्रत को रखा था, इसलिए इस पावन व्रत का नाम हरतालिका तीज रखा गया। 

कैसे करें हरतालिका तीज व्रत (Vrat vidhi of Hartalika Teej Vrat): इस व्रत के सुअवसर पर सौभाग्यवती स्त्रियां नए लाल वस्त्र पहनकर, मेहंदी लगाकर, सोलह श्रृंगार करती है और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती जी की पूजा आरम्भ करती है। इस पूजा में शिव-पार्वती की मूर्तियों का विधिवत पूजन किया जाता है और फिर हरितालिका तीज की कथा को सुना जाता है। माता पार्वती पर सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। भक्तों में मान्यता है कि जो सभी पापों और सांसारिक तापों को हरनेवाले हरितालिका व्रत को विधि पूर्वक करता है, उसके सौभाग्य की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं।
पौराणिक कथानुसार इस पावन व्रत को सबसे पहले राजा हिमवान की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए किया था और उनके तप और अराधना से खुश होकर भगवान शिव ने माता को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।


रक्षाबंधन (Rakshabandhan)



रक्षाबंधन (Rakshabandhan 2015) वर्ष 2015 में रक्षा बंधन का त्यौहार 29 अगस्त (Rakhi Festival 2015) को मनाया जाएगा।
हिन्दू पंचांगानुसार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन (Rakshabandhan) का त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार भाई-बहन का एक-दूसरे के प्रति स्नेह, प्यार और अटूट विश्वास का प्रतीक है।
विधि विधान (History and Vidhi of Raksha Bandhan): भविष्यपुराण के अनुसार इस दिन राजा को मन्त्रों आदि द्वारा अपने दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र बंधवाना चाहिए। समय के साथ और पौराणिक गाथाओं के चलन के साथ यह त्यौहार अब भाई-बहन के त्यौहार का प्रतीक बन गया है। 
इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, उसके माथे पर तिलक लगाती है और उसकी दीर्घायु और प्रसन्नता के लिए ईश्वर से कामना करती है।
रक्षा का वादा: भाई भी इस पवित्र बंधन के मौके पर अपनी बहन की हर स्थिति में रक्षा करने की प्रतिज्ञा का अमूल्य उपहार देता है।

मकर संक्रांति (Makar-sankranti)


हिन्दू धर्म के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना "मकर-संक्रांति" कहलाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि इस दिन सूर्य देवता अपने पुत्र शनि के घर स्वयं उनसे मिलने गए थे। संक्रांति के लगते ही सूर्य उत्तरायण हो जाते है। हिन्दू ध्रम में इस दिन व्रत और दान (विशेषकर तिल के दान का) का विशेष महत्व होता है। 
मकर संक्रांति के नाम (Makar Sankranti Names in Hindi)
मकर संक्रांति अधिकतर जनवरी माह की 14 तारीख को आती है। हालांकि साल 2015 में यह त्यौहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस उत्सव को अनेकों स्थानों पर भिन्न प्रकार के नामों से पुकारा जाता है जैसे कि कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश में संक्रान्ति, बिहार, यूपी में खिचड़ी तथा तमिलनाडु में पोंगल नाम से संबोधित किया जाता है। 
मकर संक्रांति व्रत विधि (Makar Sankranti Vrat Vidhi in Hindi) 
भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण या दक्षिणायन के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए। इस व्रत में संक्रांति के पहले दिन एक बार भोजन करना चाहिए। संक्रांति के दिन तेल तथा तिल मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव की स्तुति करनी चाहिए। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व होता है। 
संक्रांति पूजा समय (Auspicious Timing For Pooja on Makar Sankranti 2015) 
संक्रांति के दिन पुण्य काल में दान देना शुभ माना जाता है। इस साल यह शुभ काल 15 जनवरी, 2015 को सुबह 7 बजकर 19 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक का है। (शुभ मुहूर्त दिल्ली समयानुसार है।)

दशहरा (Dussehra)


आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है। सम्पूर्ण भारत में यह त्यौहार उत्साह और धार्मिक निष्ठा के साथ मनाया जाता है।
दशहरा 2015 (Dushhera 2015 Dates): इस वर्ष दशहरा 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस विजयदशमी विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से लेकर 02 बजकर 42 मिनट तक का है। इस दौरान अपराजिता पूजा करना शुभ माना जाता है।
दशहरे का धार्मिक महत्व (Dussehra Information in Hindi): मान्यता है कि इस दिन श्री राम जी ने रावण को मारकर असत्य पर सत्य की जीत प्राप्त की थी, तभी से यह दिन विजयदशमी या दशहरे के रूप में प्रसिद्ध हो गया। दशहरे के दिन जगह-जगह रावण-कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं। 
देवी भागवत के अनुसार इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस को परास्त कर देवताओं को मुक्ति दिलाई थी इसलिए दशमी के दिन जगह-जगह देवी दुर्गा की मूर्तियों की विशेष पूजा की जाती है। 
पुराणों और शास्त्रों में दशहरे से जुड़ी कई अन्य कथाओं का वर्णन भी मिलता है। लेकिन सबका सार यही है कि यह त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। 
दशहरा पूजा विधि (Dushra Puja Vidhi): दशहरे के दिन कई जगह अस्त्र पूजन किया जाता है। वैदिक हिन्दू रीति के अनुसार इस दिन श्रीराम के साथ ही लक्ष्मण जी, भरत जी और शत्रुघ्न जी का पूजन करना चाहिए। 
इस दिन सुबह घर के आंगन में गोबर के चार पिण्ड मण्डलाकर (गोल बर्तन जैसे) बनाएं। इन्हें श्री राम समेत उनके अनुजों की छवि मानना चाहिए। गोबर से बने हुए चार बर्तनों में भीगा हुआ धान और चांदी रखकर उसे वस्त्र से ढक दें। फिर उनकी गंध, पुष्प और द्रव्य आदि से पूजा करनी चाहिए। पूजा के पश्चात ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं भोजन करना चहिए। ऐसा करने से मनुष्य वर्ष भर सुखी रहता है।

शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratra)



आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। आश्विन शुक्लपक्ष प्रथमा को कलश की स्थापना के साथ ही भक्तों की आस्था का प्रमुख त्यौहार शारदीय नवरात्र आरम्भ हो जाता है। 
नौ देवियों की पूजा (Navdurga Puja in Navratri):नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में मां भगवती के नौ रूपों क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाती है।

देवी दुर्गा को संसार की शक्ति का आधार माना गया है। वेदों और पुराणों में देवी दुर्गा का वर्णन देवी भगवती, आदि शक्ति, महागौरी आदि नामों से किया गया है। देवीभागवत में वर्णन किया गया है कि आश्विन मास में मां भगवती की पूजा करने से मनुष्य का कल्याण होता है। 

Dates of Navratri: इस वर्ष शारदीय नवरात्र की तिथियां निम्न हैं: 
13 अक्टूबर, 2015 (1st Day of Navratri): इस दिन घटस्थापना शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 24 मिनट से लेकर 10 बजकर 12 मिनट तक का है। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। 
15 अक्टूबर 2015 (2nd Day of Navratri): नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। 
16 अक्टूबर 2015 (3rd Day of Navratri): नवरात्र के तीसरे दिन देवी दुर्गा के चन्द्रघंटा रूप की आराधना की जाती है। 
17 अक्टूबर 2015 (4th Day of Navratri): नवरात्र पर्व के चौथे दिन मां भगवती के देवी कूष्मांडा स्वरूप की उपासना की जाती है। 
18 अक्टूबर 2015 (5th Day of Navratri): नवरात्र के पांचवे दिन भगवान कार्तिकेय की माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है। 
19 अक्टूबर 2015 (6th Day of Navratri): नारदपुराण के अनुसार आश्विन शुक्ल षष्ठी यानि शारदीय नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए। 
20 अक्टूबर 2015 (7th Day of Navratri): नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। 
21 अक्टूबर 2015 (8th Day of Navratri): नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं। 
22 अक्टूबर 2015 (9th Day of Navratri): नौवें दिन भगवती के देवी सिद्धदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है। सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है। 
हिन्दू पंचाग अनुसार इस साल नवमी और दशमी एक ही दिन है इसलिए 03 अक्टूबर को ही विजयदशमी या दशहरा भी मनाया जाएगा। इस दिन कई जगह शस्त्रपूजा भी की जाती है। देवीभागवत के अनुसार इसी दिन श्री राम जी ने नौ दिन के नवरात्र व्रत को पूरा कर लंका पर चढ़ाई की थी और मां दुर्गा की अनुकंपा से ही श्रीराम ने विश्व विजयी रावण को हराया था।
23 अक्टूबर 2015: बंगाल, कोलकाता आदि जगहों पर जहां काली पूजा या दुर्गा पूजा की जाती है वहां दसवें दिन दुर्गा जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।

दीवाली (Diwali)



दीवाली हिन्दू धर्म का मुख्य पर्व है। रोशनी का पर्व दीवाली कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता है। 
साल 2015 में दीवाली (Diwali 2015): इस साल दीपावली या दीवाली 11 नवंबर को मनाई जाएगी। 

दीपावली पर्व के पीछे कथा (Story of Deepawali in Hindi): अपने प्रिय राजा श्री राम के वनवास समाप्त होने की खुशी में अयोध्यावासियों ने कार्तिक अमावस्या की रात्रि में घी के दिए जलाकर उत्सव मनाया था। तभी से हर वर्ष दीपावली का पर्व मनाया जाता है। 

दीपावली पर लक्ष्मी पूजा (Deepawali Pooja Vidhi): आज अधिकांश घरों में दीपावली के दिन लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा की जाती है। हिन्दू मान्यतानुसार अमावस्या की रात्रि में लक्ष्मी जी धरती पर भ्रमण करती हैं और लोगों को वैभव का आशीष देती है। दीपावली के दिन गणेश जी की पूजा का यूं तो कोई उल्लेख नहीं परंतु उनकी पूजा के बिना हर पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए लक्ष्मी जी के साथ विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की भी पूजा की जाती है। 

दीपदान: दीपावली के दिन दीपदान का विशेष महत्व होता है। नारदपुराण के अनुसार इस दिन मंदिर, घर, नदी, बगीचा, वृक्ष, गौशाला तथा बाजार में दीपदान देना शुभ माना जाता है। 
मान्यता है कि इस दिन यदि कोई श्रद्धापूर्वक मां लक्ष्मी की पूजा करता है तो, उसके घर में कभी भी दरिद्रता का वास नहीं होता। इस दिन गायों के सींग आदि को रंगकर उन्हें घास और अन्न देकर प्रदक्षिणा की जाती है। 
दीपावली पर्व भारतीय सभ्यता की एक अनोखी छठा को पेश करता है। आज अवश्य पटोखों की शोर में माता लक्ष्मी की आरती का शोर कम हो गया है लेकिन इसके पीछे की मूल भावना आज भी बनी हुई है। 


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