धनतेरस (Dhanteras)
हिन्दू समाज मे धनतेरस सुख-समृद्धि, यश और वैभव का पर्व माना जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेर और आयूर्वेद के देव धन्वन्तरी की पूजा का बड़ा महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने वाले इस महापर्व के बारे में पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन देवताओं के वैद्य धनवंतरी अमृत कलश सहित सागर मंथन से प्रकट हुए थे, जिस कारण इस दिन धनतेरस के साथ-साथ धन्वन्तरी जयंती भी मनाई जाती है। साल 2015 में धनतेरस का त्यौहार 9 नवंबर को मनाया जाएगा।
धनतेरस के दिन खरीददारी (Shoping on Dhanteras): नई चीजों के शुभ आगमन के इस पर्व में मुख्य रूप से नए बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है। आस्थावान भक्तों के अनुसार चूंकि जन्म के समय धन्वन्तरी जी के हाथों में अमृत का कलश था, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना अति शुभ होता है। विशेषकर पीतल के बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।
धनतेरस कथा (Dhanteras Katha): कहा जाता है कि इसी दिन यमराज से राजा हिम के पुत्र की रक्षा उसकी पत्नी ने किया था, जिस कारण दीपावली से दो दिन पहले मनाए जाने वाले ऐश्वर्य का त्यौहार धनतेरस पर सांयकाल को यमदेव के निमित्त दीपदान किया जाता है। इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ रहता है। इस दिन घरों को साफ़-सफाई, लीप-पोत कर स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है और फिर शाम के समय रंगोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है।
धनतेरस के दिन खरीददारी (Shoping on Dhanteras): नई चीजों के शुभ आगमन के इस पर्व में मुख्य रूप से नए बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है। आस्थावान भक्तों के अनुसार चूंकि जन्म के समय धन्वन्तरी जी के हाथों में अमृत का कलश था, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना अति शुभ होता है। विशेषकर पीतल के बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।
धनतेरस कथा (Dhanteras Katha): कहा जाता है कि इसी दिन यमराज से राजा हिम के पुत्र की रक्षा उसकी पत्नी ने किया था, जिस कारण दीपावली से दो दिन पहले मनाए जाने वाले ऐश्वर्य का त्यौहार धनतेरस पर सांयकाल को यमदेव के निमित्त दीपदान किया जाता है। इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ रहता है। इस दिन घरों को साफ़-सफाई, लीप-पोत कर स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है और फिर शाम के समय रंगोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है।
हरतालिका तीज (Hartalika Teej)
हरतालिका तीज 2015 (Hartalika Teej 2015): इस वर्ष हरतालिका तीज 16 सितंबर को मनाई जाएगी।
संकल्प शक्ति का प्रतीक और अखंड सौभाग्य की कामना का परम पावन व्रत हरतालिका तीज हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है। हरतालिका तीज को हरितालिका तीज भी कहा जाता है।
हरतालिका तीज व्रत (Hartalika Teej Vrat)
नारी के सौभाग्य की रक्षा करनेवाले इस व्रत को सौभाग्यवती स्त्रियां अपने अक्षय सौभाग्य और सुख की लालसा हेतु श्रद्धा, लगन और विश्वास के साथ मानती हैं। कुवांरी लड़कियां भी अपने मन के अनुरूप पति प्राप्त करने के लिए इस पवित्र पावन व्रत को श्रद्धा और निष्ठा पूर्वक करती है। "हर" भगवान भोलेनाथ का ही एक नाम है और चूँकि शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए माँ पार्वती ने इस व्रत को रखा था, इसलिए इस पावन व्रत का नाम हरतालिका तीज रखा गया।
कैसे करें हरतालिका तीज व्रत (Vrat vidhi of Hartalika Teej Vrat): इस व्रत के सुअवसर पर सौभाग्यवती स्त्रियां नए लाल वस्त्र पहनकर, मेहंदी लगाकर, सोलह श्रृंगार करती है और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती जी की पूजा आरम्भ करती है। इस पूजा में शिव-पार्वती की मूर्तियों का विधिवत पूजन किया जाता है और फिर हरितालिका तीज की कथा को सुना जाता है। माता पार्वती पर सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। भक्तों में मान्यता है कि जो सभी पापों और सांसारिक तापों को हरनेवाले हरितालिका व्रत को विधि पूर्वक करता है, उसके सौभाग्य की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं।
पौराणिक कथानुसार इस पावन व्रत को सबसे पहले राजा हिमवान की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए किया था और उनके तप और अराधना से खुश होकर भगवान शिव ने माता को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
संकल्प शक्ति का प्रतीक और अखंड सौभाग्य की कामना का परम पावन व्रत हरतालिका तीज हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है। हरतालिका तीज को हरितालिका तीज भी कहा जाता है।
हरतालिका तीज व्रत (Hartalika Teej Vrat)
नारी के सौभाग्य की रक्षा करनेवाले इस व्रत को सौभाग्यवती स्त्रियां अपने अक्षय सौभाग्य और सुख की लालसा हेतु श्रद्धा, लगन और विश्वास के साथ मानती हैं। कुवांरी लड़कियां भी अपने मन के अनुरूप पति प्राप्त करने के लिए इस पवित्र पावन व्रत को श्रद्धा और निष्ठा पूर्वक करती है। "हर" भगवान भोलेनाथ का ही एक नाम है और चूँकि शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए माँ पार्वती ने इस व्रत को रखा था, इसलिए इस पावन व्रत का नाम हरतालिका तीज रखा गया।
कैसे करें हरतालिका तीज व्रत (Vrat vidhi of Hartalika Teej Vrat): इस व्रत के सुअवसर पर सौभाग्यवती स्त्रियां नए लाल वस्त्र पहनकर, मेहंदी लगाकर, सोलह श्रृंगार करती है और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती जी की पूजा आरम्भ करती है। इस पूजा में शिव-पार्वती की मूर्तियों का विधिवत पूजन किया जाता है और फिर हरितालिका तीज की कथा को सुना जाता है। माता पार्वती पर सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। भक्तों में मान्यता है कि जो सभी पापों और सांसारिक तापों को हरनेवाले हरितालिका व्रत को विधि पूर्वक करता है, उसके सौभाग्य की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं।
पौराणिक कथानुसार इस पावन व्रत को सबसे पहले राजा हिमवान की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए किया था और उनके तप और अराधना से खुश होकर भगवान शिव ने माता को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
रक्षाबंधन (Rakshabandhan)
रक्षाबंधन (Rakshabandhan 2015) वर्ष 2015 में रक्षा बंधन का त्यौहार 29 अगस्त (Rakhi Festival 2015) को मनाया जाएगा।
हिन्दू पंचांगानुसार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन (Rakshabandhan) का त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार भाई-बहन का एक-दूसरे के प्रति स्नेह, प्यार और अटूट विश्वास का प्रतीक है।
विधि विधान (History and Vidhi of Raksha Bandhan): भविष्यपुराण के अनुसार इस दिन राजा को मन्त्रों आदि द्वारा अपने दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र बंधवाना चाहिए। समय के साथ और पौराणिक गाथाओं के चलन के साथ यह त्यौहार अब भाई-बहन के त्यौहार का प्रतीक बन गया है।
इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, उसके माथे पर तिलक लगाती है और उसकी दीर्घायु और प्रसन्नता के लिए ईश्वर से कामना करती है।
रक्षा का वादा: भाई भी इस पवित्र बंधन के मौके पर अपनी बहन की हर स्थिति में रक्षा करने की प्रतिज्ञा का अमूल्य उपहार देता है।
हिन्दू पंचांगानुसार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन (Rakshabandhan) का त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार भाई-बहन का एक-दूसरे के प्रति स्नेह, प्यार और अटूट विश्वास का प्रतीक है।
विधि विधान (History and Vidhi of Raksha Bandhan): भविष्यपुराण के अनुसार इस दिन राजा को मन्त्रों आदि द्वारा अपने दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र बंधवाना चाहिए। समय के साथ और पौराणिक गाथाओं के चलन के साथ यह त्यौहार अब भाई-बहन के त्यौहार का प्रतीक बन गया है।
इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, उसके माथे पर तिलक लगाती है और उसकी दीर्घायु और प्रसन्नता के लिए ईश्वर से कामना करती है।
रक्षा का वादा: भाई भी इस पवित्र बंधन के मौके पर अपनी बहन की हर स्थिति में रक्षा करने की प्रतिज्ञा का अमूल्य उपहार देता है।
मकर संक्रांति (Makar-sankranti)
हिन्दू धर्म के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना "मकर-संक्रांति" कहलाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि इस दिन सूर्य देवता अपने पुत्र शनि के घर स्वयं उनसे मिलने गए थे। संक्रांति के लगते ही सूर्य उत्तरायण हो जाते है। हिन्दू ध्रम में इस दिन व्रत और दान (विशेषकर तिल के दान का) का विशेष महत्व होता है।
मकर संक्रांति के नाम (Makar Sankranti Names in Hindi)
मकर संक्रांति अधिकतर जनवरी माह की 14 तारीख को आती है। हालांकि साल 2015 में यह त्यौहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस उत्सव को अनेकों स्थानों पर भिन्न प्रकार के नामों से पुकारा जाता है जैसे कि कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश में संक्रान्ति, बिहार, यूपी में खिचड़ी तथा तमिलनाडु में पोंगल नाम से संबोधित किया जाता है।
मकर संक्रांति व्रत विधि (Makar Sankranti Vrat Vidhi in Hindi)
भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण या दक्षिणायन के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए। इस व्रत में संक्रांति के पहले दिन एक बार भोजन करना चाहिए। संक्रांति के दिन तेल तथा तिल मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव की स्तुति करनी चाहिए। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व होता है।
संक्रांति पूजा समय (Auspicious Timing For Pooja on Makar Sankranti 2015)
संक्रांति के दिन पुण्य काल में दान देना शुभ माना जाता है। इस साल यह शुभ काल 15 जनवरी, 2015 को सुबह 7 बजकर 19 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक का है। (शुभ मुहूर्त दिल्ली समयानुसार है।)
मकर संक्रांति के नाम (Makar Sankranti Names in Hindi)
मकर संक्रांति अधिकतर जनवरी माह की 14 तारीख को आती है। हालांकि साल 2015 में यह त्यौहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस उत्सव को अनेकों स्थानों पर भिन्न प्रकार के नामों से पुकारा जाता है जैसे कि कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश में संक्रान्ति, बिहार, यूपी में खिचड़ी तथा तमिलनाडु में पोंगल नाम से संबोधित किया जाता है।
मकर संक्रांति व्रत विधि (Makar Sankranti Vrat Vidhi in Hindi)
भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण या दक्षिणायन के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए। इस व्रत में संक्रांति के पहले दिन एक बार भोजन करना चाहिए। संक्रांति के दिन तेल तथा तिल मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव की स्तुति करनी चाहिए। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व होता है।
संक्रांति पूजा समय (Auspicious Timing For Pooja on Makar Sankranti 2015)
संक्रांति के दिन पुण्य काल में दान देना शुभ माना जाता है। इस साल यह शुभ काल 15 जनवरी, 2015 को सुबह 7 बजकर 19 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक का है। (शुभ मुहूर्त दिल्ली समयानुसार है।)
No comments:
Post a Comment