Wednesday 22 April 2015

इस्लाम धर्म  


पर्व और त्यौहार (Festivals)


रमजान (Ramazan)

Ramazan
इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से नौंवा महीना रमज़ान का होता है। इस महीने मुसलमान लोग रोज़ा 
रखते हैं और उसके बाद चांद देखकर ईद-उल-फित्र का त्यौहार मनाते हैं। मान्यता है कि रमज़ान के 
महीने में ही कुरआन अवतरित हुई थी।
रमज़ान और रोज़े 
रमज़ान के महीने में रोज़े रखना अनिवार्य माना गया है। इस महीने सभी मुसलमानों को अपनी 
चाहतों पर नकेल कसकर अल्लाह की इबादत करते हैं। यह महीना सब्र का महीना माना जाता है।
रमज़ान में नियम 
• रमज़ान के महीने में सुबह सूरज निकलने से पहले सहरी खाई जाती है और फिर शाम में सूरज 
  ढलने के बाद एक तय समय पर ही इफ्तार किया जाता है। इस बीच किसी भी प्रकार का अन्न 
  ग्रहण करना या पानी पीने की सख्त मनाही होती है।
• रमज़ान के महीने में मुसलमान शिद्दत से नमाज़ पढ़ते हैं और कुरान-शरीफ की तिलावत करते हैं।
रमज़ान में प्रतिबंधित कार्य
रमज़ान के महीने में रोज़ा रखने के दौरान लोगों को कई कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है। जैसे
रमज़ान के महीने में एक मुसलमान को रोज़े के दौरान खान-पान से बचना चाहिए, किसी से लड़ाई-
झगड़ा नहीं करना चाहिए, सादगी से रखना चाहिए। वक्त पर नमाज पढ़ना चाहिए और कुरआन के 
पदों को जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए ।
रमज़ान में छूट
रमज़ान के महीने में रोज़े रखने से केवल बीमारी में या बूढ़े लोगों को या सफर कर रहे लोगों को 
ही छूट दी गई हैं। साथ ही गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाली माता को भी रोज़ें रखने या 
ना रखने की आजादी है।
रमज़ान का महत्व
मान्यता है कि रमज़ान के महीन में रोज़ा रखकर व अल्लाह की इबादत करके इंसान अपने ख़ुदा के 
करीब जाता है। ऐसा करने से इंसान खुदा से अपने किए हुए गुनाहों की तौबा मांग सकता है। लड़का
हो या लड़की सभी पर रमज़ान के महीने में रोज़ा रखना एक फर्ज होता है।

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