Tuesday 14 April 2015

वैदिक यंत्र


भारतीय ज्योतिष विद्या में ग्रहों की शांति और मनचाहे फल पाने के लिए कई चमत्कारी उपायों का वर्णन किया गया है। इन्हीं उपायों में से एक यंत्रो (Yantra mat) का इस्तेमाल करना है।
यंत्र क्या होते हैं? (What Is Yantra) : जब किसी कागज, भोजपत्र या किसी अन्य सतह पर मंत्र या तंत्र को गणितीय प्रणाली से चित्रों द्वारा दर्शाया जाता है तो वह एक यंत्र कहलाता है। मान्यता है कि यंत्रों में मंत्रों के साथ दिव्य अलौकिक शक्तियां समाई होती हैं। इनके द्वारा इंसान अपनी इच्छानुसार संसारिक शक्तियां ग्रहण कर सकता है।
Types of Yantra: यंत्र कई प्रकार के होते हैं जैसे श्री यंत्र, संतान प्राप्ति के लिए गोपाल संतान यंत्र, धन प्राप्ति के लिए कुबेर और धनलक्ष्मी यंत्र आदि। कुछ यंत्र वैदिक तो कुछ तांत्रिक होते हैं। यंत्रों में सबसे अधिक महत्व इसमें लिखे अंको और मंत्रो का होता है। इन्हीं अंको के आधार पर इन यंत्रो की उपयोगिता होती है। इस श्रृंखला में आपको केवल वैदिक यंत्रों से परिचित कराएंगे जैसे:
काल सर्प यंत्र (Kaal Sarp Yantra), कुबेर यंत्र (Kuber Yantra), गणेश यंत्र (Ganesh Yantra), संतान गोपाल यंत्र (Gopal Santan Yantra), नवग्रह यंत्र (Navgrah Yantra), सम्मोहन या आकर्षण यंत्र (Sammohan or Aakarshan Yantra), नवदुर्गा यंत्र (Navdurga Yantra), श्री यंत्र (Shree Yantra) आदि।


काल सर्प योग:
काल सर्प योग को सबसे प्रबल और दुखदायी योग माना जाता है। कुंडली में जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच हो तो यह योग होता है। जब नक्षत्रों की हेर-फेर के कारण सभी ग्रह राहू व केतू के बीच फंस जाते हैं, तो ऐसी स्थिति का योग अत्यंत ही दुखदाई व दुष्प्रभावशाली होता है। इसके दुष्प्रभाव से अकाल मृत्यु, संतान हानि, धन व्यय आदि हो सकती है। काल सर्प दोष (Kaal Sarp Dosha) से मुक्ति के लिए कई ज्योतिषी काल सर्प यंत्र की पूजा करने की भी सलाह देते हैं। 

काल सर्प दोष के उपाय (Remedies for Kaal Sarp dosh) 
काल सर्प यंत्र के लिए शिव के पंचाक्षर मंत्र "ऊं नमः शिवाय: का जाप करना चाहिए। इस यंत्र को किसी भी माह की शुक्ल पक्ष के सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को स्थापित कर के प्रतिदिन इसके आगे घी या सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

काल सर्प दोष यंत्र की स्थापना (Installation of Kaal Sarp dosh)
काल सर्प दोष में मनुष्य के समस्त प्रयास असफल होते हैं, जिस कारण मनुष्य निराश हो जाता है। इस दोष से बचने के लिए सिद्ध व सक्रिय यंत्र की खरीद कर विशेष विधि (पूजा) द्वारा स्थापित करना चाहिए। यंत्र स्थापित कर, उसकी पूजा करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। तथा सभी अपेक्षाकृत परिणाम सफल होते हैं।
नोट: काल सर्प यंत्र की स्थापना और शुद्धिकरण की विधि बेहद आसान है। अगर कोई पंडित या ज्योतिषी आपसे यंत्र की शुद्धिकरण के लिए बड़े प्रायोजन की बात करता है तो उससे सावधान रहें।


कुबेर यंत्र
हिन्दू धर्म के अनुसार लक्ष्मीजी को धन व वैभव की प्रतीक (देवी) माना गया है, तथा कुबेर भगवान को माता लक्ष्मी के खजाने का द्वारपाल (रक्षक)। कुबेर भगवान की पूजा का सबसे सरल उपाय कुबेर यंत्र (Kuber Yantra) को स्थापित कर, उसकी पूजा करना है।

कुबेर यंत्र का उपयोग (How to Use Kuber Yantra) 
कुबेर यंत्र की पूजा करने के बाद किसी शुभ दिन विशेषकर धनतेरस और दीपावली के दिन लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा के बाद मंदिर, पूजा स्थल, धनकोष या तिजोरी में रखना चाहिए। लेकिन हां, इसे प्रतिदिन धूप-दीप अवश्य करना चाहिए। कुबेर यंत्र की स्थापना व पूजा करने के लिए कुंडली का निरीक्षण कराना जरूरी नहीं।

कुबेर यंत्र के प्रभाव (Effects of Kuber Yantra)
कुबेर यंत्र सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है, जिसका स्वामी गुरु (बृहस्पति) है। कुबेर यंत्र को घर या कार्यालय में स्थापित करने से भाग्य वृद्धि होती है। कुबेर यंत्र कई कारणों से बेहद उपयोगी माना जाता है। जानकार मानते हैं कि:  
* कुबेर के प्रभाव से अपार धन प्राप्ति व आय के नए मार्ग खुलते हैं।
* स्वर्ण व रजत पत्रों पर निर्मित कुबेर यंत्र, स्वास्थ के लिए (Kuber Yantra for Health) सबसे अधिक प्रभावी होता है। सोने व चाँदी के पत्रों की जगह, भोजपत्र पर बना कुबेर यंत्र भी प्रयोग में लाया जा सकता है।

कुबेर यंत्र का मंत्र (Mantra for Kuber Yantra)
कुबेर यंत्र की स्थापना के लिए ‘ऊँ वैश्रवणाय स्वाहा’ या ‘ऊँ कुबेराय नमः’ मंत्र का दस हजार या सवालाख जाप करना शुभ माना जाता है।
नोट: कुबेर यंत्र शुद्धि और सिद्ध किए बिना प्रभावहीन बताया गया है. यह कार्य अगर एक सुयोग्य पंडित से कराएं तो बेहतर है.


गणेश यंत्र
भगवान गणेश सर्वप्रथम पूजनीय माने जाते हैं। भगवान शिव की तरह वह भी भोले हैं, तथा उनकी दया दृष्टि पानाबेहद आसान है। श्री गणेश यंत्र (Shree Ganesh Yantra) एक ऐसा चमत्कारी यंत्र है, जिसकी सहायता से जातकके जीवन पर सदा गणेश जी की दया दृष्टि बनी रहती है। माना जाता है कि गणेश यंत्र (Shree Ganesh Yantra) के प्रभाव से जातक के कार्यों में आने वाली बाधाएं स्वयं ही समाप्त हो जातीं हैं।

गणेश यंत्र का उपयोग (How to Use Ganesh Yantra) 
मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन इस यंत्र की स्थापना करना शुभ होता है। लाल पुष्प (फूल) व मोदक (लड्डू) के भोग से इस यंत्र की प्रतिदिन पूजा करने से जातक के जीवन में खुशियों के द्वार खुल जाते हैं तथा निःसंतान दंपत्तियों को संतान प्राप्ति होती है।

गणेश यंत्र की स्थापना व प्रभाव (Installation & Effects of Ganesh Yantra) 
गणेश यंत्र का स्वामी भगवान गणेश को माना जाता है, जिसके पूजन से बौद्धिक विकास व जीवन में सकारात्मकता प्राप्त होती है। इस पवित्र यंत्र की सहायता से समस्त दुष्प्रभावों को निरस्त कर, एक सफल इंसान बन सकते हैं। गणेश यंत्र दिव्य शक्तियों द्वारा सभी मुसीबत को दूर करता है। इसलिए इस यंत्र की स्थापना पूजा वाले स्थान पर विशेष पूजन द्वारा की जाने चाहिए।

गणेश यंत्र की स्थापना के लिए मंत्र (Mantra for Ganesh Yantra)
गणेश यंत्र के बारे में कहा जाता है कि यह मात्र 11 बार ॐ गं गणपतयै नम: बोलने से ही सिद्ध हो जाता है, लेकिन कई जगह वर्णित है कि श्री गणेश यंत्र को कम से कम 11,000 श्री गणेश मंत्रों ("ॐ गं गणपतयै नम:") द्वारा अभिमंत्रित होना चाहिए। इसलिए गणेश यंत्र की स्थापना करते समय किसी सुयोग्य पंडित से सलाह अवश्य लें।
नोट: गणेश यंत्र की स्थापना करते समय किसी सुयोग्य पंडित से सलाह अवश्य लें.



संतान गोपाल यंत्र
आधुनिकता के इस दौर में तमाम चिकित्सीय पद्धतियां होने के बावजूद भी विज्ञान कई निःसंतान दंपत्तियों की मदद नहीं कर पाता, लेकिन भारतीय ज्योतिष विज्ञान के अनुसार संतान गोपाल यंत्र (Santan Gopal Yantra) की पूजा करने से ऐसे दंपत्तियों को संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है। इस यंत्र के साथ भगवान श्रीकृष्ण की बाल गोपाल की मूर्ति या तस्वीर की प्रतिदिन पूजा करनी चाहिए।

संतान गोपाल यंत्र का उपयोग (How to Use Santan Gopal Yantra) 
देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।
संतान गोपाल मंत्र (Santan Gopal Mantra in Hindi) की 55 माला या यथाशक्ति जप और गोपाल संतान यंत्र की पूजा का एक माह में चमत्कारिक फल मिलता हैं। इस यंत्र की पूजा के साथ भगवान विष्णु को दूर्वा यानि ताजा घास और मोदक या दही- मक्खन का भोग अवश्य लगाएं।

संतान गोपाल यंत्र की स्थापना व प्रभाव (Installation & Effects of Santan Gopal Yantra) 
संतान गोपाल यंत्र की पूजा करने से वैवाहिक जीवन बेहद सुखद होता है। यह यंत्र आपके सपनों को पूर्ण करता है, जिससे सम्पूर्ण जीवन उल्लास से भर जाता है। संतान गोपाल यंत्र का लाभ उठाने के लिए सुयोग्य ज्योतिष व पंडित से सलाह लेकर, शुद्धिपूर्वक स्थापना करनी चाहिए। इस यंत्र की स्थापना विशेष पूजन द्वारा की जाती है। ।
नोट: संतान गोपाल यंत्र (Santaan Gopal Yantra) के बारें में कई लोग मानते हैं कि यह तभी पूर्ण रूप से फलदायक होता है जब इसे संतान गोपाल मंत्र का 25,000 बार जाप कर सिद्ध किया जाए. लेकिन अधिकतर ज्योतिषी इसे गलत और धूर्त पंडितों की चाल बताते हैं. इसलिए संतान गोपाल यंत्र की स्थापना के विषय में किसी सुयोग्य पंडित से इसकी सरल विधि अवश्य जान लें.






व्यापार वृद्धि यंत्र

अगर आपको बिजनेस में बार-बार हानि हो रही है या आपको अपनी दुकान में चोरी का डर सताता है तो आपको व्यापार वृद्धि यंत्र (Vyapar Vridhi Yantra) का उपयोग अवश्य करना चाहिए। 
How to Use Vyapar Vridhi Yantra: इस यंत्र के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यापार में लाभ होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस यंत्र को शुक्ल पक्ष में रविवार को भोजपत्र पर बनाना चाहिए। इसे अपने हाथों से बनाना संभव ना तो आप बाजार से मिलने वाले यंत्र भी स्थापित कर सकते हैं। व्यापार वृद्धि यंत्र की प्रतिष्ठा व पूजा करने के बाद इसे घर, ऑफिस, दफ्तर या अपनी दुकान के पूजा स्थल पर स्थापित कर दें। इसकी प्रतिदिन पूजा बेहद आवश्यक है। 
व्यापार वृद्धि मंत्र : ओम श्री ह्रीं क्लीं महालक्ष्मै नम:। 
ओम महालक्ष्म्यै विदमहे महाश्रियं च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोद्यात।
ओम या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता। 
नमतस्यै नमतस्यै नमर्तस्य नमो नम :।

वशीकरण यंत्र

वशीकरण मंत्र का प्रयोग लोगों को वश में करने या उन्हें अपनी और आकर्षित करने के लिए किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार वशीकरण या आकर्षण यंत्र एक तांत्रिक यंत्र माने जाते हैं। 
Benefits of Vashikaran Yantra:* वशीकरण यंत्र (Vashikarana Yantra) से कई लाभ होते हैं जैसे यह जातक को बुरी नजर से बचाता है और जातक को अधिक आकर्षित बनाता है। 
* साथ ही यह पति-पत्नी में से किसी एक के भटक जाने या पराई स्त्री-पुरुष से संबंधों की स्थिति में भी लाभदायक होता है। 
How to Use Vashikaran Yantra: वशीकरण यंत्र का प्रयोग करते समय माँ कामाख्या का ध्यान और उनके मंत्रों का जाप अनिवार्य है। लाल स्याही से भोजपत्र पर बना वशीकरण यंत्र बेहद लाभदायक माना गया है।
नोट: यह एक बेहद प्रभावी लेकिन तांत्रिक यंत्र माना जाता है. इसका अनैतिक और बिना जानकारी के प्रयोग वर्जित है.


श्री यंत्र 
श्री यंत्र को सबसे महान और सर्वाधिक फल देने वाला यंत्र माना जाता है। कई लोग श्री यंत्र को लक्ष्मी यंत्र भी मानते हैं। धार्मिक मान्यतानुसार श्री यंत्र के पूजन से धन आगमन के रास्ते खुलते हैं।   

  श्री यंत्र का उपयोग (How to Use Shree Yantra) 
श्री यंत्र की पूजा के लिए लक्ष्मी जी के बीज मंत्र "ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊं महालक्ष्मै नम:" का प्रयोग करें। 
श्री यंत्र की आराध्या देवी श्री त्रिपुरा सुन्दरी देवी मानी जाती हैं। पौष मास की सक्रांति के दिन और वह भी रविवार को बना हुआ श्री यंत्र बेहद अद्भुत व सर्वोच्च फल देने वाला होता है, लेकिन ऐसा ना होने पर आप किसी भी माह की संक्रांति के दिन या शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन इस यंत्र का निर्माण कर सकते हैं। यह यंत्र ताम्रपत्र (तांबे की प्लेट), रजत-पत्र या स्वर्ण-पत्र पर ही बना होना चाहिए। 

श्री यंत्र की स्थापना व प्रभाव (Installation & Effects of Shree Yantra) 
श्री यंत्र को प्रतिष्ठित करने से पहले सुयोग्य ज्योतिष या पुरोहित की सलाह अवश्य लें। वशीकरण यंत्र की स्थापना शुद्धिपूर्वक विशेष पूजन द्वारा किया जाता है। इस यंत्र को स्थापित कर, विधिवत रूप से पूजन करने से समस्त चिंताओं को समाप्त करता है। जिसके फलस्वरूप, सकारात्मक ऊर्जा का विकास होगा तथा समृद्धि प्राप्त होगी।
नोट: श्रीयंत्र एक बेहद प्रभावी यंत्र है, अगर इसका पूर्ण लाभ उठाना हो तो इसकी स्थापना एक सुयोग्य पंडित से ही कराएं.


नवदुर्गा
नवदुर्गा के विषय में सबसे सटिक भविष्यवाणी मार्कण्डेय पुराण में की गई है। इस पुराण में नवदुर्गा को प्रसन्न करने के लिए श्री नवदुर्गा यंत्र की पूजा का विधान बताया गया है। 
Facts of Navdurga:* धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस यंत्र (Shree Navdurga Yantra in Hindi) द्वारा चोर भय, प्रेत भय, शत्रु भय, रोग भय, बन्धन भय आदि से छुटकारा पाया जा सकता है। 
* यूं तो इस यंत्र को किसी भी दिन साधारण पूजा द्वारा स्थापित किया जा सकता है लेकिन विशेष फल हेतु इसे भौमावस्या को सूर्योदय से दो घंटे पहले विशेष पूजा विधान कर स्थापित करने से विशेष सिद्धि मिलती है। 
* साथ ही तांत्रिक विधि के लिए इस यंत्र का नवरात्रों के दौरान पूजन किया जाता है।
* इस यंत्र की पूजा के लिए नवदुर्गा मंत्र का ही प्रयोग किया जाता है। 
* इस यंत्र को ताम्रपत्र पर लाल स्याही से बनाना चाहिए।


वास्तु दोष निवारक यंत्र


वास्तु और फेंग शुई के प्रचार ने लोगों को वास्तु दोष के प्रति बेहद जागरुक बना दिया है। हालांकि लोगों की जागरुकता कई बार अंधविश्वास का रूप ले लेती है जिसका ठग और धूर्त लोग फायदा उठाते हैं। लेकिन वास्तु दोष को खत्म करने के लिए शास्त्रों में एक बेहद आसान उपाय के बारें में बताया गया है जो है वास्तु दोष निवारक यंत्र की स्थापना और पूजा करना। 
Facts of Vastu Yantra: वास्तु दोष निवारक यंत्र (Vastu Dosh Nivarak Yantra) को आप सादे कागज, भोजपत्र या तांबे-चांदी आदि धातु पर बनवा कर इस्तेमाल कर सकते हैं। 
* इसकी स्थापना के लिए विशेष पूजा की भी आवश्यकता नहीं होती। 
* "ॐ आं ह्रीं क्रों कूर्मासनाय नम:" मंत्र का 21 बार जाप करें। 
* फिर पंचामृत और गंगाजल से यंत्र को शुद्ध कर पीले या भगवे रंग के कपड़े में लपेट कर घर या मंदिर में स्थापित कर दें।
* इस यंत्र के प्रभाव से घर, ऑफिस या दुकान में अगर वास्तु दोष होगा तो वह स्वत: ही समाप्त हो जाएगा।


महामृत्युंजय यंत्र
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Yantra) का जाप अकाल मृत्यु के योग को भी दूर कर देता है। भगवान शिव के इस मंत्र को सबसे शक्तिशाली माना जाता है। सदियों से इस मंत्र का वर्णन अलग-अलग वेदों और पुराणों में किया गया है। मंत्र के साथ कई लोग महामृत्युंजय यंत्र की पूजा भी करते हैं। 

महामृत्युंजय यंत्र का उपयोग (How to Use Mahamrityunjaya Yantra) 
मृत्युंजय का अर्थ होता है मृत्यु पर विजय। इस यंत्र की पूजा करते समय पूर्व की दिशा में मुख कर कुशा आसान धारण करना चाहिए। इस यंत्र की पूजा और आराधना के लिए महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग किया जाता है। 

महामृत्युंजय यंत्र की स्थापना व प्रभाव (Effects of Mahamrityunjaya Yantra) 
महामृत्युंजय यंत्र को शुद्धिपूर्वक व विशेष विधि द्वारा स्थापित किया जाता है। इस यंत्र को स्थापित करने से पूर्व किसी सुयोग्य ज्योतिष व पंडित से सलाह अवश्य लें। माना जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र के साथ महामृत्युंजय यंत्र की पूजा करने वाले जातक का काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। महामृत्युंजय यंत्र की पूजा करने से मृत्यु का भय खत्म हो जाता है, तथा  गंभीर बीमारियों से भी मुक्ति मिलती है। 
पढ़ें सरल महामृत्युंजय मंत्र हिन्दी में: महामृत्युंजय मंत्र (Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi) 


शनि शांति यंत्र

शनि को न्याय का देवता माना जाता है। शनि किसी भी कुंडली में सबसे लंबे समय तक प्रभावित करने वाले ग्रह माने जाते हैं। शनि की साड़ेसाती और ढैय्या में जातक को अपने कार्यों का उचित फल नहीं मिल पाता, दुर्घटनाओं और परेशानियों से उसका जीवन कष्टकारी हो जाता है। ऐसी स्थिति में शनि की शांति करवाने हेतु शनि शांति यंत्र (Shani Shanti Yantra in Hindi) का पूजन लाभदायक होता है।  

शनि शांति यंत्र का उपयोग (How to Use Shani Shanti Yantra) 
शनि यंत्र (Shani Shanti Yantra in Hindi) को लॉकेट के रूप में भी धारण किया जा सकता है। इसे काली स्याही से भोजपत्र या ताम्रपत्र पर बनवाना लाभदायक होता है। नीला या काले रंग के पुष्प अर्पित करते हुए शनि मंत्र "ऊँ शं शनैश्चराय नम" से इस यंत्र की पूजा करनी चाहिए। 

शनि शांति यंत्र की स्थापना व प्रभाव (Installation & Effects of Shani Shanti Yantra) 
शनि यंत्र को स्थापित करने से पूर्व पवित्र व शुद्ध करना अभूत जरूरी है, क्योंकि जातक तक पहुंचे के लिए इसे कई हाथों का सामना करना पड़ता है। शनि यंत्र की स्थापना तथा पूजा अर्चना के लिए विशेष दिशा निर्देश दिए गए हैं। शनि यंत्र सभी जातकों के लिए लाभकारी है। किन्तु शनि यंत्र की पूजा उन जातकों को करनी चाहिए जिनके सातवें ग्रह में शनि बैठा हो, क्योंकि सातवाँ ग्रह मौत, परिवार आदि का वाचक होता है। इस यंत्र से सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बनता है, जिससे समस्त दुष्प्रभावों का नाश होता है।


मंगल यंत्र
कुंडली में मांगलिक दोष होने की वजह से अकसर लोगों की शादी-ब्याह, संतान प्राप्ति आदि में समस्याएं आती हैं। इस दोष से बचने के यूं तो कई उपाय है लेकिन सबसे बेहतरीन उपाय मंगल यंत्र की स्थापना और पूजा को माना गया है। 

मंगल यंत्र का उपयोग (How to Use Mangal Yantra) मान्यता है कि अगर कुंडली में मंगल अशुभ हो तो उसे भी मंगल यंत्र की पूजा द्वारा सही किया जा सकता है। मंगल यंत्र को लाल वस्त्र अथवा ताम्रपत्र या भोजपत्र पर लाल स्याही से बनाना बेहद शुभ माना जाता है। मांगलिक दोष (Mangalik Dosha Yantra in Hindi) निवारण के लिए इस यंत्र के साथ हनुमान जी की पूजा करना परमावश्यक है। 

मंगल यंत्र की स्थापना व प्रभाव (Installation & Effects of Mangal Yantra) 
मंगल यंत्र को शुद्धिपूर्वक व विशेष पूजन विधि द्वारा स्थापित किया जाता है। इस यंत्र की स्थापना करने से पहले किसी अच्छे पंडित या ज्योतिष से सलाह जरूर लें। मंगल यंत्र का पूजन करने से आर्थिक, शारीरिक व बौद्धिक विकास होता है। रक्त संबंधी बीमारियां खत्म हो होती हैं, तथा जीवन में सफलता प्राप्त होती है।


महालक्ष्मी यंत्र
माता लक्ष्मी को इस संसार में भौतिक सुखों को प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। माता लक्ष्मी की पूजा और उन्हें प्रसन्न करने के लिए ही महालक्ष्मी यंत्र (Shree Mahalaxmi Yantra) की पूजा और स्थापना की जाती। 

महालक्ष्मी यंत्र का उपयोग (How to Use Mahalaxmi Yantra) 
धार्मिक मतानुसार महालक्ष्मी यंत्र (Mahalaxmi Yantra) को दीपावली के दिन स्थापित करने से अत्याधिक फल प्राप्त होता है। इसे चांदी, सोने या तांबे की प्लेट पर बनवाकर योग्य पंडित या गृहिणी द्वारा स्थापित कराना चाहिए। इस यंत्र (Mahalaxmi Yantra) को स्थापित करने के बाद इसके समक्ष प्रतिदिन धूप-बत्ती दिखाकर "ॐ महालक्ष्मयै नम:" मंत्र की ग्यारह माला का जाप करना चाहिए।  यंत्र को स्थायी रूप से अपने अथवा कार्य अथवा पूजा स्थल में स्थापित करना चाहिए। 

महालक्ष्मी यंत्र के लिए मंत्र (Mantra for Mahalaxmi Yantra)
महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना व पूजन करते समय "ॐ ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं, ह्रीं ह्रीं फट्" मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। 

महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना व प्रभाव (Installation & Effects of Mahalaxmi Yantra) 
महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना किसी भी शुभ दिन की जा सकती है, किन्तु अद्भुत व अत्यधिक फल प्राप्ति के लिए कार्तिक अमावस्या के दिन शुद्धिपूर्वक व विशेष पूजन विधि द्वारा स्थापित किया जाता है। इस यंत्र की स्थापना करने से पहले किसी अच्छे पंडित या ज्योतिष से सलाह जरूर लें।


सरस्वती यंत्र 
कलियुग में धन सबसे अहम है, लेकिन धन से भी अहम है ‘शिक्षा’। वैदिक शास्त्र माता सरस्वती को विद्या की देवी माना जाता है। सरस्वती जी की कृपा पाने वाले जातक के जीवन में कभी अंधकार नहीं होता। सरस्वती जी की साधना का आसान तरीका सरस्वती यंत्र (Saraswati Yantra in Hindi) की पूजा है। 

सरस्वती यंत्र का उपयोग (How to Use Saraswati Yantra) 
सरस्वती यंत्र की खासियत यह है कि इसे अपने हाथों से बनाना शुभ होता है। अनार की कलम या अष्टगंध की स्याही से भोजपत्र पर यह यंत्र बना इसकी स्वयं पूजा करने से सर्वाधिक लाभ मिलता है। इस यंत्र (Saraswati Yantra in Hindi) को वसंत पंचमी के दिन स्थापित किया जाता है। सरस्वती यंत्र की स्थापना करते समय सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa in Hindi) व "ऊं ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरूवे: नम:” मंत्र का जाप करना चाहिए।   

सरस्वती यंत्र की स्थापना व प्रभाव (Installation & Effects of Saraswati Yantra) 
सरस्वती देवी मंत्र की स्थापना व पूजन करने से एकाग्रता व बौद्धिक विकास होता है, जिससे मनुष्य सफलता प्राप्त करता है। इस यंत्र की स्थापना शुद्धिपूर्वक, विशेष पूजन-विधि द्वारा की जाती है। इस यंत्र की सिद्धि के लिए ज्योतिष मार्ग दर्शन बहुत जरूरी है।
नोट: मान्यता है कि इस यंत्र का प्रभाव 4 वर्ष 4 माह तक ही रहता है इसलिए निश्चित समय अंतराल पर इसे बदलते रहें। यंत्र की सिद्धि के लिए योग्य पंडित की सलाह अवश्य लें.



नवग्रह यंत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार मनुष्य के भाग्य को सबसे अधिक प्रभावित उसकी कुंडली में मौजूद ग्रह करते हैं। अगर कुंडली में कोई भी ग्रह अशुभ हो तो वह जातक को सफल होने से रोक सकता है। ऐसी स्थिति में सबसे बेहतरीन उपाय ग्रहों की शांति हेतु पूजा करवाना होता है। इन दिनों ग्रहों को शांत कराने हेतु पूजा में नवग्रह यंत्र (Navgrah Yantra in Hindi) का प्रयोग बढ़ गया है।

नवग्रह यंत्र का उपयोग (How to Use Navgrah Yantra) 
नवग्रह यंत्र को नवग्रह शांति यंत्र के नाम से भी जाना जाता है। इस यंत्र (Navgrah Shanti Yantra) के माध्यम से सभी ग्रहों का एक साथ विधिवत पूजन हो जाता है। नवग्रह शांति यंत्र को लाल रंग की पृष्ठ पर चमकीले या स्वर्ण स्याही से बनाना उचित माना जाता है। इसकी स्थापना अगर नवरात्रों के दिनों में की जाए तो यह और भी अधिक फल देता है। 
नवग्रह यंत्र की स्थापना करने के लिए पहले एक आसान बनाकर उसपर यंत्र को रखना चाहिए। यंत्र पर फूल, पंच द्रव्य, गंगा जल आदि छिड़कना चाहिए। इसके बाद पूजा कर प्रत्येक ग्रह के मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप के बाद यंत्र शुद्धि समाप्त हो जाती है। प्रतिदिन धूप और पूजा करने से यंत्र का प्रभाव अधिक दिखाई देता है।

नवग्रह यंत्र की स्थापना व प्रभाव (Installation & Effects of Navgrah Yantra) 
नवग्रह यंत्र की स्थापना उसी स्थिति में करनी चाहिए जब ग्रह अशांत हों। इस यंत्र की स्थापना व पूजन करने से सभी ग्रह के दुष्प्रभावों को खत्म करता है। जीवन में समृद्धि, प्रसन्नता का आगमन होता है, जिससे मनुष्य अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है। इस यंत्र की स्थापना शुद्धिपूर्वक, विशेष पूजन-विधि द्वारा की जाती है। इस यंत्र की सिद्धि के लिए ज्योतिष मार्गदर्शन बहुत जरूरी है। 
नोट: नवग्रह शांति यंत्र के प्रयोग को लेकर कई मतभेद हैं. जहां एक और कुछ पंडित इसे बेहद उपयोगी मानते हैं तो वहीं कुछ इसे हानिकारक बताते हैं. इसकी आलोचना करने वालों का तर्क है कि जातक की कुंडली में कुछ ग्रह कमजोर तो कुछ मजबूत होते हैं. नवग्रह यंत्र की पूजा करने से कई बार मजबूत ग्रह कमजोर हो जाते हैं. इसलिए पाठकों से अनुरोध है नवग्रह यंत्र 




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