Monday 20 April 2015

पार्श्वनाथ जैन मंदिर (Parshavnath Jain Mandir)

Parshavnath Jain Mandir
पार्श्वनाथ जैन मंदिर
पार्श्वनाथ जैन मंदिर जिसे लोग करेड़ा पार्श्वनाथ जैन मंदिर के नाम से भी जानते हैं, राजस्थान के 
चित्तौड़गढ़ से लगभग 50 किमी दूर स्टेट हाइवे नंबर नौ पर गाँव भूपालसागर में स्थित है। हर साल
मंदिर में लाखों श्रद्धालु तथा पर्यटक आते हैं। इस मंदिर को खूबसूरत सफ़ेद पत्थरों से बनाकर तैयार 
किया गया है। 
पार्श्वनाथ जैन मंदिर का इतिहास (History of Parshavnath jain Mandir) 
मंदिर के इतिहास के बारे में अनेकों बात हैं, जिसमें सुकृत सागर ग्रंथ प्रमुख है। जिसमें बताया गया
है कि मंदिर का निर्माण आचार्य धर्मघोष सूरीजी के उपदेशों से प्रभावित होकर मध्य प्रदेश के 
तत्कालीन महामंत्री संघपति देवाशाह के पुत्र पेथड़शाह ने विक्रम संवत ने 1321 में करवाया था, 
जिसे विक्रम संवत ने 1340 में विशाल रूप दिया। 
इस मंदिर में जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की श्याम वर्ण पद्मासनस्थ मूर्ति 
विराजमान है। माना जाता है कि इस मूर्ति को विक्रमी सावंत ने 1665 में बनवाई थी। 
पार्श्वनाथ जैन मंदिर की मान्यता (Importance of Parshavnath jain Mandir) 
इस मन्दिर के बारे में यह मान्यता है कि जो व्यक्ति इस मन्दिर के पूर्ण दर्शन कर लेता है, उसे 52
तीर्थों के दर्शन का लाभ प्राप्त होता है। 
साथ ही कई लोगों का मानना है कि प्रतिवर्ष पौष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी को सूर्य की पहली 
किरण सीधी श्यामवर्ण पार्श्वनाथ प्रतिमा पर पड़ती है, जिसे देखने हज़ारों की संख्या में भक्त यहां 
आते हैं। 
मंदिर के दर्शन का समय (Timings) 
पार्श्वनाथ जैन मंदिर के कपाट प्रात: 5 बजे खुल जाते हैं। इसके पश्चात प्रक्षाल पूजा, केसर पूजा, 
पुष्प पूजा व मुकुट धारण किया जाता है। 10 बजे सुबह की आरती तथा शाम को 7:30 बजे आरती
के साथ मंगलदीप होती है।

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