शनि साढ़ेसाती
धार्मिक मतानुसार शनि ग्रह के देवता शनि देव तीनों लोकों के न्यायाधीश हैं। शनि देव का न्याय पक्षरहित माना जाता है। वह न्याय के बीच अपने पिता (सूर्य देव) को भी नहीं आने देते। शनि देव महादशा (19 वर्षों के लिए), साढ़ेसाती (साढ़े सात वर्षों के लिए) और ढैय्या (ढाई वर्षों के लिए) में जातक को उसके कर्मों का फल देते हैं। जो अच्छे कर्म करते हैं उन्हें अच्छा फल और बुरे कर्म करने वालों को बुरा फल मिलता है।
शनि साढ़ेसाती (Shani Sadesati Calculator): यदि आपको अपने जन्म समय और जन्म स्थान की सही जानकारी है तो आप नीचे दिए गए सर्च रिजल्ट्स पर क्लिक कर अपने जीवन में शनि साढ़ेसाती के विषय में जानकारी पा सकते हैं:
शनि साढ़ेसाती (Shani Sadesati Calculator): यदि आपको अपने जन्म समय और जन्म स्थान की सही जानकारी है तो आप नीचे दिए गए सर्च रिजल्ट्स पर क्लिक कर अपने जीवन में शनि साढ़ेसाती के विषय में जानकारी पा सकते हैं:
ज्योतिषानुसार जब जन्म राशि (चन्द्र राशि) से गोचर में शनि द्वादश, प्रथम एवं द्वितीय स्थानों में भ्रमण करता है, तो साढ़े सात वर्ष के इस समय को शनि की साढ़ेसाती कहते हैं। (शनि को एक राशि से गुजरने में इसे ढाई वर्ष लगते हैं)
साढ़ेसाती के प्रभाव (Shani Sadesati Effects in Hindi) अधिकतर ज्योतिषियों का मानना है कि साढ़ेसाती का प्रभाव पूरे समय के लिए बुरा नहीं होता। इस समय का मात्र कुछ भाग ही कष्टकारी होता है बाकी का समय इंसान के लिए शुभ होता है। लेकिन कई बार इस अल्पकाल के अशुभ समय में ही इंसान मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह टूट जाता है।
साढ़ेसाती के प्रभाव (Shani Sadesati Effects in Hindi) अधिकतर ज्योतिषियों का मानना है कि साढ़ेसाती का प्रभाव पूरे समय के लिए बुरा नहीं होता। इस समय का मात्र कुछ भाग ही कष्टकारी होता है बाकी का समय इंसान के लिए शुभ होता है। लेकिन कई बार इस अल्पकाल के अशुभ समय में ही इंसान मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह टूट जाता है।
What is Shani Maha Dasha: शनि एक मंद ग्रह है इसलिए वह किसी भी जातक की कुंडली में 19 साल के लंबे समय के लिए रहता है। यह समय शनि की महादशा कहलाती है। "महादशा" व्यक्ति के जन्म समय से निर्धारित होता है। जिस ग्रह की महादशा के अंतर्गत जातक का जन्म हुआ होता है उसके अगले क्रम में अन्य ग्रहों की महादशाएं आती रहती हैं।
शनि की महादशा के प्रभाव (Effects of Shani Maha Dasha in Hindi) : लोगों को प्राय: यह भ्रम होता है कि शनि की महादशा के दौरान उन्हें सिर्फ कष्ट ही कष्ट होगा। लेकिन ज्योतिष इस तथ्य को सही नहीं मानता। ज्योतिषानुसार महादशा के समय शनि खुद अपना प्रभाव नहीं दिखाते, बल्कि इस दौरान जातक को शनि के शत्रु ग्रहों की वजह से हानि होती है।
शनि की महादशा के प्रभाव (Effects of Shani Maha Dasha in Hindi) : लोगों को प्राय: यह भ्रम होता है कि शनि की महादशा के दौरान उन्हें सिर्फ कष्ट ही कष्ट होगा। लेकिन ज्योतिष इस तथ्य को सही नहीं मानता। ज्योतिषानुसार महादशा के समय शनि खुद अपना प्रभाव नहीं दिखाते, बल्कि इस दौरान जातक को शनि के शत्रु ग्रहों की वजह से हानि होती है।
शनि की साढ़ेसाती अगर किसी जातक पर बहुत भारी यानि कष्टकारी हो रही हो तो उसे शनि को शांत करने के उपाय करने चाहिए। शनि के उपाय करने के लिए पहले कुंडली (Shani sadesati in kundali) में शनि की दशा, स्थान, भाव आदि पर भी विचार करना जरूरी है।
Sadesati Remedies in Hindi: जिन जातकों को शनि साढ़ेसाती से परेशानी हो उन्हें निम्न उपाय करने चाहिए:
* सुन्दरकाण्ड या हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करना चाहिए।
* शनिवार को प्रात: काल पीपल के पेड़ पर जलदान करने से भी शनि पीड़ा से शांति मिलती है।
* मान्यता है कि शनि साढ़ेसाती के दौरान काले घोड़े के नाल की अंगूठी या नाव के कील की अंगूठी भी जातक के लिए लाभप्रद होती है।
* शनिवार का व्रत और शनिवार को दान देने से भी शनि साढ़ेसाती के दौरान होने वाली पीड़ा से शांति मिलती है।
** शनि देव से जुड़ी वस्तुएं जैसे काली उड़द की दाल, तिल, लौह, काले कपड़े आदि का दान देना चाहिए।
* शनि शांति के लिए शनि दोष शांति यंत्र का प्रयोग भी किया जा सकता है।
Sadesati Remedies in Hindi: जिन जातकों को शनि साढ़ेसाती से परेशानी हो उन्हें निम्न उपाय करने चाहिए:
* सुन्दरकाण्ड या हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करना चाहिए।
* शनिवार को प्रात: काल पीपल के पेड़ पर जलदान करने से भी शनि पीड़ा से शांति मिलती है।
* मान्यता है कि शनि साढ़ेसाती के दौरान काले घोड़े के नाल की अंगूठी या नाव के कील की अंगूठी भी जातक के लिए लाभप्रद होती है।
* शनिवार का व्रत और शनिवार को दान देने से भी शनि साढ़ेसाती के दौरान होने वाली पीड़ा से शांति मिलती है।
** शनि देव से जुड़ी वस्तुएं जैसे काली उड़द की दाल, तिल, लौह, काले कपड़े आदि का दान देना चाहिए।
* शनि शांति के लिए शनि दोष शांति यंत्र का प्रयोग भी किया जा सकता है।
यह एक भ्रम है कि शनि की महादशा के दौरान जातक को सिर्फ कष्ट ही होते हैं। ज्योतिषी बताते हैं कि शनि की महादशा कई बार जातक के लिए शुभ और फलदायी साबित होती है। लेकिन अगर शनि की महादशा जातक के लिए कष्टकारी साबित हो तो उन्हें शनि शांति के उपाय करने चाहिए।
शनि की महादशा और उससे जुड़े कुछ सामान्य उपाय (Remedies for Shani Maha Dasha in Hindi ) :
* रोटी पर सरसों का तेल लगाकर गाय या कुत्ते को खिलाना चाहिए।
* शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। पीपल के पेड़ पर तिल और सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए।
* शनि मंत्र "ऊँ शं शनैश्चराय नम:" और शनि स्तोत्र का नित्य जाप करना चाहिए।
* शनि की शांति के लिए नीलम को धारण करने का भी विधान है। लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि नीलम एक शक्तिशाली रत्न है जिसको धारण करने से पहले किसी रत्न विशेषज्ञ की सलाह आवश्यक है।
लाल किताब - शनि ग्रह के उपाय : Lal Kitab - Shani Ke Upay in Hindi
विशेष: शनि की महादशा अगर कष्टकारी साबित हो तो जातक को कुंडली में शनि की स्थिति का आंकलन कराने के बाद ज्योतिषीय सलाह के अनुसार ही उपाय करने चाहिए।
शनि की महादशा और उससे जुड़े कुछ सामान्य उपाय (Remedies for Shani Maha Dasha in Hindi ) :
* रोटी पर सरसों का तेल लगाकर गाय या कुत्ते को खिलाना चाहिए।
* शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। पीपल के पेड़ पर तिल और सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए।
* शनि मंत्र "ऊँ शं शनैश्चराय नम:" और शनि स्तोत्र का नित्य जाप करना चाहिए।
* शनि की शांति के लिए नीलम को धारण करने का भी विधान है। लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि नीलम एक शक्तिशाली रत्न है जिसको धारण करने से पहले किसी रत्न विशेषज्ञ की सलाह आवश्यक है।
लाल किताब - शनि ग्रह के उपाय : Lal Kitab - Shani Ke Upay in Hindi
विशेष: शनि की महादशा अगर कष्टकारी साबित हो तो जातक को कुंडली में शनि की स्थिति का आंकलन कराने के बाद ज्योतिषीय सलाह के अनुसार ही उपाय करने चाहिए।
शनि का प्रभाव प्रत्येक राशि के लिए भिन्न-भिन्न होता है जिसका आंकलन कुंडली देखकर किया जाता है। किसी राशि के लिए साढ़ेसाती का समय अत्यंत कष्टकारी तो किसी के लिए अत्यंत शुभ भी हो सकता है। ज्योतिषानुसार प्रत्येक राशि के लिए साढ़ेसाती के दौरान किए जाने वाले उपाय भी अलग-अलग होते हैं। मान्यता है कि शनि की साढ़ेसाती तीन चरणों में बंटी होती है और राशिनुसार सबको उनके कर्मों का फल मिलता है।
शनि साढ़ेसाती और राशियों पर उनके प्रभाव निम्न हैं:
मेष राशि: मेष राशि के जातकों के लिए मध्य के ढाई वर्ष नष्ट फल कारक होते हैं।
वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातकों के लिए शुरु के ढाई वर्ष अशुभ होते हैं।
मिथुन राशि: मिथुन राशि को अंत के ढाई वर्ष अशुभ होते हैं।
कर्क राशि: कर्क राशि के जातकों को मध्य के ढाई वर्ष अशुभ होते हैं।
सिंह राशि: सिंह राशिवालों के लिए शुरु के पांच साल उसमें भी मध्य के ढाई वर्ष विशेष अशुभ होते हैं।
कन्या राशि: कन्या राशि के जातकों के लिए शुरु के पांच साल उसमें भी मध्य के ढाई वर्ष विशेष अशुभ होते हैं।
तुला राशि: तुला राशि के जातकों को आखिर के ढाई वर्ष विशेष अशुभ होते है।
वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातकों के लिए अंत के पांच साल उसमें भी पहले यानि मध्य के ढाई वर्ष विशेष अशुभ होते हैं।
धनु राशि: धनु राशि के लिए शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या शुरु के ढाई वर्ष शुभ होते हैं।
मकर राशि: मकर राशि के लिए साढ़ेसाती या ढैय्या शुभ मानी जाती है। इनके लिए पहले के पांच वर्ष उसमें से भी पहले के ढाई वर्ष का समय विशेष फलकारक होता हैं।
कुंभ राशि: मान्यता है कि कुंभ राशि के जातकों के लिए साढ़ेसाती या ढैय्या के शुरु और अंत के ढाई वर्ष विशेष अशुभ साबित होते हैं।
मीन राशि: मीन राशि वालों को पूर्ण साढ़ेसाती शुभ फल देने वाली होती है। उसमें से भी अंत के ढाई वर्ष का समय विशेष फलदायक होता है।
शनि साढ़ेसाती और राशियों पर उनके प्रभाव निम्न हैं:
मेष राशि: मेष राशि के जातकों के लिए मध्य के ढाई वर्ष नष्ट फल कारक होते हैं।
वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातकों के लिए शुरु के ढाई वर्ष अशुभ होते हैं।
मिथुन राशि: मिथुन राशि को अंत के ढाई वर्ष अशुभ होते हैं।
कर्क राशि: कर्क राशि के जातकों को मध्य के ढाई वर्ष अशुभ होते हैं।
सिंह राशि: सिंह राशिवालों के लिए शुरु के पांच साल उसमें भी मध्य के ढाई वर्ष विशेष अशुभ होते हैं।
कन्या राशि: कन्या राशि के जातकों के लिए शुरु के पांच साल उसमें भी मध्य के ढाई वर्ष विशेष अशुभ होते हैं।
तुला राशि: तुला राशि के जातकों को आखिर के ढाई वर्ष विशेष अशुभ होते है।
वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातकों के लिए अंत के पांच साल उसमें भी पहले यानि मध्य के ढाई वर्ष विशेष अशुभ होते हैं।
धनु राशि: धनु राशि के लिए शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या शुरु के ढाई वर्ष शुभ होते हैं।
मकर राशि: मकर राशि के लिए साढ़ेसाती या ढैय्या शुभ मानी जाती है। इनके लिए पहले के पांच वर्ष उसमें से भी पहले के ढाई वर्ष का समय विशेष फलकारक होता हैं।
कुंभ राशि: मान्यता है कि कुंभ राशि के जातकों के लिए साढ़ेसाती या ढैय्या के शुरु और अंत के ढाई वर्ष विशेष अशुभ साबित होते हैं।
मीन राशि: मीन राशि वालों को पूर्ण साढ़ेसाती शुभ फल देने वाली होती है। उसमें से भी अंत के ढाई वर्ष का समय विशेष फलदायक होता है।
हिन्दू धर्म में शनि देव का स्थान बेहद अहम है। शनि देव के प्रमुख धाम निम्न हैं:
* श्री शनि तीर्थ क्षेत्र (असोला, फतेहपुर बेरी): यह मंदिर दिल्ली के महरौली में स्थित है। यहां शनि देव की सबसे बड़ी मूर्ति विद्यमान है जो अष्टधातुओं से बनी है।
* शनि शिंगणापुर (महाराष्ट्र, अहमदनगर जिला): महाराष्ट्र में स्थित इस मंदिर की ख्याति देश ही नहीं विदेशों में भी है। कई लोग तो इस स्थान को शनि देव का जन्म स्थान भी मानते है। शिंगणापुर के अधिकांश घरों में खिड़की, दरवाजे और तिजोरी नहीं है। दरवाजों की जगह यहां मात्र पर्दे लगाए जाते हैं।
* शनिचरा मंदिर (मध्यप्रदेश, मुरैना): यहां शनि देव का सबसे प्राचीन मंदिर होने की बात कही जाती है। कहते हैं कि हनुमान जी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त करा उन्हें मुरैना पर्वतों पर विश्राम करने के लिए छोड़ा था। मंदिर के बाहर हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है।
* श्री शनि तीर्थ क्षेत्र (असोला, फतेहपुर बेरी): यह मंदिर दिल्ली के महरौली में स्थित है। यहां शनि देव की सबसे बड़ी मूर्ति विद्यमान है जो अष्टधातुओं से बनी है।
* शनि शिंगणापुर (महाराष्ट्र, अहमदनगर जिला): महाराष्ट्र में स्थित इस मंदिर की ख्याति देश ही नहीं विदेशों में भी है। कई लोग तो इस स्थान को शनि देव का जन्म स्थान भी मानते है। शिंगणापुर के अधिकांश घरों में खिड़की, दरवाजे और तिजोरी नहीं है। दरवाजों की जगह यहां मात्र पर्दे लगाए जाते हैं।
* शनिचरा मंदिर (मध्यप्रदेश, मुरैना): यहां शनि देव का सबसे प्राचीन मंदिर होने की बात कही जाती है। कहते हैं कि हनुमान जी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त करा उन्हें मुरैना पर्वतों पर विश्राम करने के लिए छोड़ा था। मंदिर के बाहर हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है।
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