Sunday 12 April 2015


जन्म कुंडली (Janam Kundali)
जन्म कुंडली (Janam Kundali): जन्म कुंडली को कई लोग जन्म पत्रिका, वैदिक कुंडली, हिन्दू कुंडली आदि के नाम से भी जानते हैं। ऐसी कुंडली (Birth Chart) बनाते समय जातक के जन्म के समय नक्षत्रों और ग्रहों की सटिक स्थिति का आंकलन कर फलादेश बनाया जाता है।
जन्म समय के जन्म स्थान के रेखांश (Longitude) व अक्षांश (Latitude) के आधार पर ज्योतिषिय गणना कर सितारों और नक्षत्र के विषय में गणना करने के पश्चात एक ऐसी पत्रिका तैयार की जाती है जिसमें जातक के आने वाले भविष्य के बारें में बहुत ही भविष्यवाणी की जाती है। भारत में ज्यादातर परिवारों में कुंडली के आधार पर ही बच्चों का नामकरण होता है और शादी-विवाह आदि में भी इसको प्राथमिकता दी जाती है।

कैसे बनाएं कुंडली (How to make Kundali): कुंडली बनाने का कार्य मुख्य रूप से पंडित या ब्राह्ममण करते हैं लेकिन आज इंटरनेट ने अपना विस्तार इस तरह किया है कि ज्योतिष की इस अहम शाखा में भी उसकी पहुंच हो गई है। आज कई वेबसाइट्स और सॉफ़्टवेयर (Free Hindi Kundali Software) भी कुंडली बनाती हैं। इनमें से कई तो आपको पूर्ण हिन्दी या अंग्रेजी में भी कुंडली (Kundali in Hindi) उपलब्ध कराते हैं।
जन्म कुंडली (Janam Kundali in Hindi) बनाते हुए जातक का सही जन्म समय बेहद अहम होता है। माना जाता है कि जन्म समय सही होने पर नवांश और दसवांश जैसे महत्वपूर्ण कारकों की जानकारी मिल जाती है। लेकिन इसके ना पता होने की सूरत में कुंडली भरोसेमंद नहीं मानी जाती।

अगर जन्म समय ना पता हो तो (What to do if you don’t know Birth Time): पराशीय पद्धति के अनुसार अगर जातक के सही जन्म समय का ज्ञान नहीं है तो कुंडली बनाने के बाद जातक के व्यवहार और उसके जीवन में घटित घटनाओं के आधार पर इसकी जांच कर लेनी चाहिए। और अगर यह ना मिले तो फलादेश प्रश्न कुंडली के आधार पर की जानी चाहिए। प्रश्न कुंडली भी एक तरह की कुंडली है लेकिन इसमें जन्म समय की जगह जिस समय कुंडली बनाई जाती है उस समय के ग्रहों की स्थिति की गणना की जाती है।

कुंडली मिलान (Kundali Matching): भारतीय ज्योतिष विज्ञान में सफल विवाह हेतु लड़के और लड़की के गुणों और कुंडली (Kundali and Gun Milan) का मिलान किया जाता है।
गुण मिलान (Gun Milan in Kundali): कुंडली को देखकर 36 गुणों के आधार पर यह मिलान किया जाता है। मान्यता है कि जितने ज्यादा गुण मिलते हैं जोड़ी उतनी ही अच्छी बनती है। भारतीय समाज में मान्यता है कि बिना कुंडली मिलान के की गई शादी के टूटने की संभावना रहती है।
ज्योतिषीय तथ्यों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण तो नहीं है लेकिन वर्षों के अनुभव के आधार पर ज्योतिषी गुण मिलान (Kundali Matching in Hindi) को एक सफल विवाह के लिए बेहद आवश्यक समझते हैं। अगर आप भी अपनी प्रेमी/प्रेमिका से विवाह करने की सोच रहे हैं तो एक बार अपनी कुंडलियां अवश्य मिला लें।

विभिन्न कुंडली दोष

Kundali DoshaKundali Dosha: जन्म कुंडली बनाने के बाद ज्योतिषी और पंडित जिस चीज पर सबसे ज्यादा ध्यान देते हैं वह है कुंडली में मौजुद दोष (Kundali Dosh in Hindi)। किसी ग्रह का नीच भाव में होना या पाप ग्रहों द्वारा सीधा देखा जाना कुंडली में दोष उत्पन्न करता है। यह दोष पूर्व जन्म के भी हो सकते हैं या फिर इसी जन्म के भी। कुंडली दोषपूर्ण होने की स्थिति में जिस ग्रह को प्रभावित करती है उसके शुभ फल जातक को नहीं मिल पाते। आइयें जानें विभिन्न कुंडलिय दोषों को और साथ ही उनके निवारण (Kundali Dosh Remedies in Hindi) की विधि:

मांगलिक दोष (Details of Mangalik Dosha Hindi)
मंगल दोष को कुछ लोग मांगलिक दोष भी कहते हैं। जिन लोगों को मंगल दोष होता है उनकी शादी में बेहद परेशानियां आती हैं। इस दोष के विभिन्न शास्त्रों में मिलने वाले दुष्परिणामों और चेतावनियों की वजह से आम आदमी में इसे लेकर कई भ्रांतियां भी हैं। यहां यह बात विशेष ध्यान देने वाली है कि मांगलिक स्त्री-पुरुष से विवाह होने पर हमेशा परिणाम अशुभ नहीं होते। 
कैसे कम करें मांगलिक दोष (Remedies of Mangalik Dosha in Hindi): कुछेक उपायों से मंगल दोष को कम किया जा सकता है और इन उपायों में व्यर्थ का अधिक धन व्यय करने की भी जरूरत नहीं। शास्त्रों के अनुसार मानयता है कि जन्मकुंडली के यदि मंगल मंगल ग्रह 1, 4, 7, 8 या 12 घर में बैठा हो तो जातक (स्त्री-पुरुष) मंगल दोष से युक्त समझे जाते हैं। कुछ विशेष उपाय निम्न हैं: 
* माना जाता है कि अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल दोष है तो उसकी शादी 
  मांगलिक से ही करनी चाहिए। 
*ऐसा संभव ना होने पर ‘पीपल' विवाह, कुंभ विवाह, सालिगराम विवाह तथा मंगल यंत्र
  का पूजन आदि कराके जातक की शादी अच्छे ग्रह योगों वाले जातक से करा देनी चाहिए। 
* हनुमान चालिसा का पाठ और गणेश पूजन तथा मंगल यंत्र की पूजा करनी चाहिए।

कुंडली में काल सर्प दोष (Kaal Sarp Dosha in Kundali
कुंडली में कालसर्प योग के बारें में भी ज्योतिष बेहद ध्यान देते हैं। कालसर्प तब होता है
जब राहु-केतु के मध्य सातों ग्रह हो। सरल शब्दों में जब जातक की कुंडली में सूर्य, चंद्र, 
मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि राहु और केतु के बीच आ जाए तब ‘कालसर्प योग’ निर्मित
होता है। 
काल सर्प दोष के लक्षण (Kaal Sarp Dosha Effects): इस दोष की वजह से संतान 
उत्पत्ति में बाधा, निराशा, अवसाद, असफलता आदि का सामना करना पड़ता है। 
काल सर्प योग से बचने के उपाय (Kaal Sarp Dosha Remedies in Hindi): काल 
सर्प योग से निवारण हेतु सबसे बेहतर उपाय नागों की पूजा और नाग पंचमी के दिन दान 
और सांप को दूध पिलाना बताया गया है। 
* साथ ही चन्द्र ग्रहण के दिन बहते जल में चांदी के सर्पों को बहाने से भी काल सर्प दोष
 से मुक्ति मिलती है। 
* इसके अलावा भगवान शिव को सांपो का देवता माना जाता है इसलिए जितना हो सके 
“ओम नम: शिवाय” और महामृत्युंजय मंत्र का सुबह-शाम का जाप करना चाहिए और 
 शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।

पितृ दोष (Pitra Dosha in Kundali):

कुंडली में एक अहम दोष पितृ दोष (Pitra Dosha in Kundali) को भी माना जाता है। कई लोग इसे पित्ररों यानि
पूर्वजों के बुरे कर्मों का फल मानते हैं तो कुछ का मानना है कि अगर पित्ररों का दाह-संस्कार सही ढंग से 
ना हो तो वह नाखुश होकर हमें परेशान करते हैं। कुंडली में पितृ दोष तब होता है जब सूर्य, चन्द्र, राहु या 
शनि में दो कोई दो एक ही घर में मौजुद हो। 
पितृ दोष निवारण (Pitra Dosha Remedies in Hindi): पितृ दोष से युक्त जोड़े को संतान प्राप्ति में 
बेहद कठिनाई होती है। गर्भ ठहरने के बाद लगातार गर्भपात की समस्या आने पर इस दोष पर विचार कर 
लेना चाहिए। पितृ दोष से मुक्ति के कुछ विशेष उपाय: 
* इस दोष से मुक्ति के लिए पितृ पक्ष में पित्ररों का दान और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
* श्रीकृष्ण-मुखामृत गीता का पाठ करना चाहिए। 
* पीपल के पेड पर जल, पुष्प, दूध, गंगाजल, काला तिल चढ़ाकर अपने स्वर्गीय परिजनों को याद कर 

   उनसे माफी और आशीष मांगना चाहिए। 




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