Monday 20 April 2015


शनैश्चरी अमावस्या

24 दिसम्बर को शनैश्चरी अमावस्या है. शनिश्चरी अमावस्या को न्याय के देवता शनिदेव सभी को अभय प्रदान करते हैं। ऐसा शास्त्रों में उल्लेख किया गया है। सनातन संस्कृति में अमावस्या का विशेष महत्व है और अमावस्या अगर शनिवार के दिन पड़े तो इसका मतलब सोने पर सुहागा से कम नहीं। ज्योतिष के अनुसार, जिन जातक की जन्म कुंडली या राशियों पर शनि की साढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव है वे इसकी शांति व अच्छे फल प्राप्त करने के लिए 24 दिसंबर को पड़ने वाली शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव का विधिवत पूजन कर पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं।

Shani Amavasyaशनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनैश्चरी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन मनुष्य विशेष अनुष्ठानों से पितृदोष और कालसर्प दोष से मुक्ति पा सकता है। इसके अलावा शनि का पूजन और तैलाभिषेक कर शनि की साढेसाती, ढैय्या और महादशा जनित संकट और आपदाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है, इसलिए शनैश्चरी अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध जरूर करना चाहिए।

सुख-सौभाग्य पाने के लिए ही शनि स्तुति से जुड़ा एक पौराणिक प्रसंग है कि अपनी क्रूर और टेढ़ी नजर से देव-दानव, मानव को सभी को आहत करने वाले शनि परम तपस्वी और योगी मुनि पिप्पलाद की दिव्य और तेजोमयी नजरों का सामना नहीं कर पाएं। शनि स्वयं मुनि पिप्पलाद की दृष्टि से धराशायी होने पर विकंलाग हो गए।
शनि को पीडि़त देखकर ब्रह्मदेव ने मुनि पिप्पलाद को मनाया, तब मुनि ने शनिदेव को कष्टों से छुटकारा दिया। साथ ही देवताओं के कहने पर शनि पीड़ा से बचाव व मुक्ति के लिए शनि मंत्रों और स्त्रोतों की रचना की।
मुनि पिप्पलाद द्वारा रचे गऐ इन मंत्रों और स्त्रोत का पाठ शनिवार, मंगलवार, अमावस्या, शनि जयंती के साथ ही शनि की साढ़े साती, महादशा और ढैय्या में में करना शनि ग्रह के अशुभ असर या कोप से बचाकर शुभ फल देती है। 

यहां जानते हैं इनमें से ही एक शनि स्तुति, इसका यथासंभव 11 बार पाठ करना शनि पीड़ा शांति के लिए प्रभावी माना गया है।
नमस्ते कोणसंस्थय पिङ्गलाय नमोस्तुते।
नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तु ते॥
नमस्ते रौद्र देहाय नमस्ते चान्तकाय च।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥
नमस्ते यमदसंज्ञाय शनैश्वर नमोस्तुते॥
प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्य च॥

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