Tuesday 21 April 2015


ईद उल-फ़ित्र (Eid-ul-fitr)

Eid-ul-fitr
रमज़ान के महीने की आखिरी रात चांद रात के रूप में मनाई जाती है। चांद रात में ईद का चांद देखकर मुसलमान अगले दिन “ईद-उल-फित्र” मनाते हैं। ईद-उल-फित्र इस्लाम के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इसे मीठी ईद भी कहते हैं।
ईद-उल-फित्र 2015 
साल 2015 में ईद उल फित्र 17 जुलाई को मनाई जाएगी।
ईद-उल-फित्र का महत्व 
हदीस के अनुसार ईद उल फित्र अल्लाह की दी हुई पेशकश या भेंट हैं। रमज़ान के पूरे महीने रोज़े रख मुस्लिम मन और तन से पवित्र हो जाते हैं और अल्लाह को लगातार याद कर एक आध्यात्मिक संबंध का अनुभव करते हैं। ईद उल फित्र इस अनुभव को और भी यादगार बनाने का काम करता है।
ईद-उल-फित्र कैसे मनाई जाती है? 
ईद-उल-फित्र के दिन सुबह की नमाज़ का खास महत्व होता है। लोग पारंपरिक कपड़े पहनकर मस्जिद या ईदगाह में नमाज़ पढ़ने जाते हैं। आमतौर पर इस वक्त मस्जिदों में इतनी भीड़ होती है कि लोगों को खुले मैदान में भी नमाज़ अदा करनी पड़ती है। इस पर्व से जुड़ी कुछ अन्य रोचक जानकारियां निम्न हैं:
• नमाज के बाद लोग एक-दूसरे से गले मिलकर ईद मुबारक कहते हैं। इस परंपरा के कारण ईद-उल-फित्र भाईचारे का भी प्रतीक बन चुका है।
• सभी मुसलमानों को ईद उल फित्र के मौके पर फ़ितरा यानी ज़कात अदा करना आवश्यक माना गया है।
• इस दिन घरों में मीठी सेवईं और तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और इन्हें दोस्तों, परिजनों और सगे-संबंधियों में बांटा जाता हैं।
• इस दिन बड़े अपने छोटों को ईदी के तौर पर कोई तोहफ़ा या कुछ रकम भी अदा करते हैं।
जकात का महत्व (Importance of Zakat) 
ईद उल फित्र के दिन जकात अदा करना बेहद जरूरी माना गया है। “ज़कात” उस धन को कहते हैं जो अपनी कमाई से निकाल कर अल्लाह या धर्म की राह में खर्च किया जाए। इस धन का प्रयोग समाज के गरीब तबके के कल्याण और सेवा के लिए किया जाता है।

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