श्री धर्म मंगल जैन विधापीठ (Sri Dharm Mangal Jain Vidhapeeth)
श्री धर्म मंगल जैन विधापीठ
श्वेतांबर को समर्पित श्री धर्म मंगल जैन विधापीठ झारखंड राज्य में स्थित है। इसकी स्थापना
श्वेतांबर को समर्पित श्री धर्म मंगल जैन विधापीठ झारखंड राज्य में स्थित है। इसकी स्थापना
1972 में हुई। यह आचार्य श्री पद्म प्रभ सूरीश्वर की प्रेरणा से निर्मित हुआ है। यहां पूजा-अर्चना के
लिए एक भव्य मंदिर संगमरमर के खूबसूरत पत्थरों से बना है। यहां 14 मंदिरों का एक विशाल
समूह है।
श्री धर्म मंगल जैन विधापीठ की मान्यता (Importance of sri Dharm Mangal Jain
श्री धर्म मंगल जैन विधापीठ की मान्यता (Importance of sri Dharm Mangal Jain
Vidhapeeth)
जैन धर्म में एक प्राचीन धारणा है कि सृष्टि रचना के समय से ही सम्मेद शिखर और अयोध्या दो प्रमुख तीर्थों का अस्तित्व रहा है। इसलिए इन्हें अमर तीर्थ माना गया है। कहा जाता है कि यहां तीर्थंकरों और तपस्वी संतों ने कड़ी तपस्या और ध्यान के जरिए मोक्ष प्राप्त किया
जैन धर्म के शास्त्रों के मुताबिक जीवन में एक बार सम्मेद शिखर तीर्थ की यात्रा करने वाला इंसान
जैन धर्म में एक प्राचीन धारणा है कि सृष्टि रचना के समय से ही सम्मेद शिखर और अयोध्या दो प्रमुख तीर्थों का अस्तित्व रहा है। इसलिए इन्हें अमर तीर्थ माना गया है। कहा जाता है कि यहां तीर्थंकरों और तपस्वी संतों ने कड़ी तपस्या और ध्यान के जरिए मोक्ष प्राप्त किया
जैन धर्म के शास्त्रों के मुताबिक जीवन में एक बार सम्मेद शिखर तीर्थ की यात्रा करने वाला इंसान
मृत्यु के बाद पशु योनि और नरक से मुक्त हो जाता है। यह भी कहा गया है कि 24 में से 20 तीर्थं
करों ने श्री सम्मेद शिखर पर ही मोक्ष पाया।
सम्मेद शिखर तीर्थ के रक्षक भोमियाजी का मंदिर अतिप्राचीन माना गया है। उन्हें जाग्रत देव माना
सम्मेद शिखर तीर्थ के रक्षक भोमियाजी का मंदिर अतिप्राचीन माना गया है। उन्हें जाग्रत देव माना
गया है। कहा जाता है कि जो श्रद्धा भाव से मन्नत मांगता है, उसे सम्पूर्ण फल प्राप्त होता है।
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